लार(देवरिया),। परिषदीय विद्यालयों में विभिन्न कार्यों के लिए मिला बजट खर्च करने का शिक्षकों पर दबाव था। लेकिन बैंक की लापरवाही का खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। शिक्षकों ने तो अपनी कार्रवाई पूरी कर दी लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत में ग्रांट आने से विद्यालय यों को मिलने वाला बजट लैप्स हो गया।
जिले में संचालित 2122 परिषदीय विद्यालयों को कंपोजिट ग्रांट समेत अन्य मदों में शासन ने एन वक्त पर स्कूलों को बजट उपलब्ध कराया। मार्च के दूसरे पखवाड़े में यह बजट विद्यालय प्रबंध समिति के खातों में भेजा गया। इसके साथ ही अधिकारियों ने बजट खत्म करने का दबाव बनाने के लिए पत्र भी जारी कर दिया। दबाव में आकर शिक्षकों ने तो स्कूलो में काम भी करा लिया, लेकिन बैंक की मनमानी और सर्वर भी दगा दे गया। बताया जा रहा है कि स्कूलों के सभी खाते बैंक ऑफ बड़ौदा में संचालित हैं। शिक्षकों ने पीएफएमएस पोर्टल से प्रिंट पेमेंट एडवाइस जनरेट कर बैंक में जमा करा दी।लेकिन बैंकों से भुगतान नहीं हो पाया और लाखों रुपए विद्यालय विकास के लैप्स हो गया।
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बैंक ऑफ बड़ौदा और शिक्षा विभाग में तालमेल नहीं:
शिक्षकों का आरोप है बैंक और शिक्षा विभाग कार्यालयों से तालमेल ठीक नहीं होने के कारण विद्यालय और बच्चों के विकास के लिए आए लाखों रूपए वापस चले गए। शिक्षकों का आरोप है की उन्होंने विद्यालयों में जल्दी जल्दी काम तो करा लिया लेकिन उनका भुगतान नहीं हो पाया। शिक्षकों की सबसे अधिक नाराजगी बैंक ऑफ बड़ौदा के सलेमपुर शाखा को लेकर है। शिक्षकों संगठन इसको लेकर मुख्यमंत्री और बैंकिंग लोकपाल को भी पत्र लिख कर इसकी शिकायत करेंगे।
स्कूलों को बजट देने में साल भर लापरवाही की जाती रही। वित्तीय वर्ष समाप्त होने से कुछ दिन पहले बजट देने से समस्या खड़ी हुई है। हर बार यही किया जाता है, बाद में शिक्षकों का बजट लेप्स होने पर उत्पीड़न किया जाता है।