हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने बीमा क्लेम मामले में अहम फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक, यदि बीमाधारक स्वास्थ्य बीमा खरीदते समय अपनी जीवनशैली से जुड़ी जरूरी बातों या किसी आदत जैसे-शराब और सिगरेट के सेवन की जानकारी छिपाता है तो बीमा कंपनी को उसका दावा पूरी तरह खारिज करने का अधिकार होगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बीमा खरीदते समय जीवनशैली से जुड़ी सही जानकारियां देना अनिवार्य है। बीमा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में प्रस्ताव (प्रपोजल) फॉर्म की अहम भूमिका होती है। यह तब भरा जाता है, जब इंश्योरेंस कंपनी किसी को बीमा बेचती है। यदि ग्राहक इसे ठीक ढंग से नहीं भरता है अथवा जरूरी तथ्य छिपाता है तो बीमा दावा करते वक्त उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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प्रपोजल फॉर्म भरते समय बरती जाने वाली सावधानियां
बीमा प्रस्ताव फॉर्म जानकारी गलत या अधूरी हो, तो भविष्य में दावा (क्लेम) खारिज होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, फॉर्म भरते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
10. बीमा कंपनी की साख भी जांचें
3. जीवनशैली की जानकारी ईमानदारी से दें
● धूम्रपान, शराब या किसी अन्य नशीले पदार्थ के सेवन की सही जानकारी दें।
● खतरनाक खेलों या जोखिम भरे कार्यों (जैसे- स्काई डाइविंग, पर्वतारोहण, मोटर रेसिंग) में भागीदारी का उल्लेख करें।
दिक्कत : गलत जानकारी देने से प्रीमियम तो कम हो सकता है, लेकिन भविष्य में क्लेम लेने के समय दिक्कत आ सकती है।
2. स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी में पारदर्शिता रखें
● पूर्व में हुई बीमारियों और इलाज का उल्लेख करें (जैसे- डायबिटीज, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर आदि)।
● पहले हुई सर्जरी, अस्पताल में भर्ती होने और दवाओं के सेवन की जानकारी दें।
● परिवार में अनुवांशिक बीमारियों (जैसे- हृदय रोग, मधुमेह) के इतिहास का उल्लेख करें।
दिक्कत : यदि कोई जानकारी छिपाई गई तो दावा रद्द हो सकता है।
1. सही और पूरी जानकारी दें
● व्यक्तिगत जानकारी: नाम, जन्मतिथि, पता, संपर्क नंबर आदि सही भरें।
● पहचान प्रमाण पत्र: आधार, पैन, पासपोर्ट आदि के विवरण को सावधानीपूर्वक भरें।
● व्यवसाय की जानकारी: नौकरी, व्यवसाय या अन्य आय स्रोतों की सही जानकारी दें।
दिक्कत : गलत या अधूरी जानकारी देने से बीमा पॉलिसी रद्द हो सकती है या दावा अस्वीकार हो सकता है।
4. बीमा योजना का सही चुनाव करें
● अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सही बीमा राशि का चयन करें।
● बीमा की अवधि और प्रीमियम भुगतान की अवधि की जांच करें।
●यदि किसी प्रकार की अतिरिक्त सुविधा (राइडर) चाहिए, तो उसे फॉर्म में सही तरीके से भरें।
दिक्कत : गलत योजना चुनने से भविष्य में वित्तीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
6. मौजूदा बीमा पॉलिसी का सही विवरण दें
● अगर पहले से कोई अन्य बीमा पॉलिसी ली हुई है, तो उसकी जानकारी दें।
●यदि पहले किसी बीमा कंपनी ने आपका आवेदन अस्वीकार किया है, तो उसका उल्लेख करें।
दिक्कत : कंपनी को पता चलता है कि मौजूदा पॉलिसी की जानकारी छुपाई थी, तो नई पॉलिसी रद्द हो सकती है।
5. नॉमिनी का सही विवरण दें
● नॉमिनी (उत्तराधिकारी) के नाम, उम्र और रिश्ते की सही जानकारी दें।
● नॉमिनी की पहचान (आधार, पैन आदि) सही से भरें।
●यदि नॉमिनी नाबालिग है, तो अभिभावक का नाम भी दर्ज करें।
दिक्कत : गलत नॉमिनी भरने से मृत्यु के बाद बीमा राशि मिलने में कानूनी अड़चनें आ सकती हैं।
9. फॉर्म स्वयं भरें या भरोसेमंद व्यक्ति से ही भरवाएं
● यदि बीमा एजेंट फॉर्म भर रहा है, तो हर विवरण स्वयं जांचें।
● गलत जानकारी देने के लिए केवल एजेंट जिम्मेदार नहीं होगा, आप भी उत्तरदायी होंगे।
दिक्कत : एजेंट द्वारा गलत जानकारी भरने से दावा खारिज हो सकता है।
7. दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें और जांच करें
● फॉर्म भरने के बाद सभी जानकारी दोबारा जांचें।
● बीमा शर्तें को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
● यदि कोई संदेह हो, तो बीमा एजेंट या कंपनी से स्पष्ट करें।
दिक्कत : बिना पढ़े हस्ताक्षर करने से भविष्य में परेशानी हो सकती है।
8. प्रीमियम भुगतान की सही जानकारी दें
●नकद, चेक, ऑनलाइन ट्रांसफर आदि से भुगतान करते समय रसीद लें।
●पॉलिसी जारी होने के बाद बीमा प्रीमियम का समय पर भुगतान करें।
दिक्कत : ⚠ प्रीमियम समय पर न भरने से पॉलिसी लैप्स (बंद) हो सकती है।
● सही और भरोसेमंद बीमा कंपनी का चयन करें।
● कंपनी की दावा निपटान अनुपात भी देखें।
● कंपनी की ऑनलाइन समीक्षा और ग्राहक सेवा की जांच करें।
दिक्कत : अविश्वसनीय कंपनियों से बीमा लेने पर भविष्य में क्लेम प्राप्त करने में दिक्कत आ सकती है।
क्या है प्रस्ताव फॉर्म : जब भी कोई व्यक्ति अपने या पूरे परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा खरीदता है तो इंश्योरेंस कंपनी एक प्रस्ताव (प्रपोजल) फॉर्म भरवाती है। उसमें आवेदक और परिजनों की जीवनशैली से जुड़े तमाम तरह के सवाल पूछे जाते हैं। जैसे- क्या आप धूम्रपान और शराब के सेवन करते हैं? यदि हां तो कितने वर्षों से कर रहे हैं। इनकी कितनी मात्रा लेते हैं। क्या कभी डॉक्टर से इन्हें छोड़ने की सलाह दी है। इसी तरह, खान-पान की आदतों, शारीरिक फिटनेस और व्यायाम से जुड़े सवाल भी इस फॉर्म में होते हैं।
इतना ही पेशे और जोखिमभरी गतिविधियों जैसे खतरनाक और साहसिक खेलों के प्रति बीमाधारक के रुझान के प्रति भी सवाल पूछे जाते हैं। इन सभी प्रश्नों से बीमा कंपनियों को यह समझने में मदद मिलती है कि आवेदक की जीवनशैली कितनी जोखिमभरी है और उसे कितना प्रीमियम देना चाहिए। इसलिए सही और सटीक जानकारी देना आवश्यक होता है, क्योंकि गलत या झूठी जानकारी देने पर भविष्य में बीमा दावा खारिज किया जा सकता है।
आवेदक को खुद ही यह फॉर्म भरना चाहिए : विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए प्रस्तावक फॉर्म भर रहे हैं तो इसे पूरी तरह सही जानकारियों के साथ भरें। फॉर्म में कोई भी कॉलम खाली न छोड़ें। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि फॉर्म किसी और शख्स से न भरवाएं। साथ ही किसी और को भी इसे न भरने दें। कई बार देखने में आता है कि बीमा एजेंट आवेदक की तरफ से खुद ही इस फॉर्म को भर देते हैं, जिनमें कई जानकारियों और तथ्यों को छोड़ दिया जाता है। एजेंट का मकसद किसी तरह बीमा बेचने पर रहता है, इसलिए वह जल्दबाजी में फॉर्म भर देता है। आवेदन इस तरह की गलत कतई न करें।
क्लेम खारिज होने पर आवेदक खुद जिम्मेदार : इसके अलावा अगर फॉर्म एक भाषा में है और आप किसी दूसरी भाषा में सवालों के उत्तर दे रहे हैं सुनिश्चित करें कि सवाल आपको सही ढंग से समझाए गए हैं और आपने उन्हें पूरी तरह से समझ लिया है।
आपको प्रपोजल फॉर्म में इस बात की घोषणा करनी पड़ेगी। बीमा खरीदते समय में किसी भी जानकारी या तथ्य को छिपाएं नहीं। ऐसा करने से बीमा क्लेम करते समय परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। याद रखें कि फॉर्म में भरे गए सभी विवरण के लिए आवेदक खुद जिम्मेदार होता है। इस जानकारी को क्लेम के दौरान झुठलाया नहीं किया जा सकता है।
फॉर्म की एक प्रति रखें
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि हस्ताक्षर किए गए प्रपोजल फॉर्म की एक प्रति अपने पास जरूर रखनी चाहिए। इसमें आपके रिकॉर्ड के लिए आपसी सहमति से तय की गई कोई भी घोषणा और शर्तें हो सकती हैं। यह भी पूछें कि अगर आगे चलकर कोई बीमारी सामने आती है या किसी तरह की सेहत संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं तो पॉलिसी पर क्या असर पड़ेगा और उसकी विकल्प क्या होगा।
क्या हैं इसके लिए नियम
आवेदक को पॉलिसी खरीदने के तीन साल पहले तक पुरानी कोई बीमारी है या उसका इलाज चला है तो उसका खुलासा प्रपोजल फॉर्म में करना अनिवार्य है।
अगर कंपनी को फॉर्म भरते समय पता चल जाए कि आवेदक या पॉलिसी में शामिल किसी सदस्य को कोई बीमारी है तो वह प्रीमियम की राशि बढ़ा सकती है अथवा कोई शर्त जोड़ सकती है या फिर आवेदन ही खारिज कर सकती है। अगर आवेदक बीमारी को छुपाकर बीमा ले लेता है और कुछ महीनों बाद कंपनी को पता चल जाए तो वह क्लेम खारिज कर सकती है। पॉलिसी भी रद्द कर सकती है।
1. बीमा से फोन नंबर जरूर जोड़ें :
यह जरूर सुनिश्चित करें कि आपका फोन नंबर बीमा कंपनी के साथ पंजीकृत हो। दावा खारिज होने की स्थिति में संदेश आप तक पहुंच जाएगा।
2. बीमारियों की कवरेज जरूर जांच : यह भी सुनिश्चित करें कि पॉलिसी आपकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों और गंभीर बीमारियों को कवर करती है या नहीं। यह भी देखें कि पॉलिसी में क्या शामिल है और क्या नहीं।
3. कैशलेस का विकल्प जरूर हो :
सुनिश्चित करें कि इंश्योरेंस कंपनी, अस्पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा देती है और उसका एक प्रतिष्ठित ग्राहक सेवा रिकॉर्ड है।
4. ग्रेस पीरियड में भुगतान जरूरी : बीमा कंपनियां भुगतान की देय तिथि से 15 दिनों की छूट अवधि प्रदान करती हैं, जिसके दौरान भुगतान किया जा सकता है। ऐसा न करने पर पॉलिसी रद्द हो जाएगी।
5. बैंक खाते से लिंक करें : अगर आपने ईएमआई पर स्वास्थ्य बीमा लिया है तो किस्त भुगतान को अपने बैंक खाते से लिंक करें, न कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड से।
पूर्व बीमारी का विवरण दें
पहले से मौजूद बीमारियों को बीमा कंपनियां एक निश्चित अवधि के बाद कवर करती हैं, जिसे प्रतीक्षा अवधि कहा जाता है। इस अवधि के खत्म होने के बाद बीमा कंपनियां संबंधित बीमारी के इलाज की सुविधा देती हैं। नियमों के तहत अगर बीमाधारक को पॉलिसी खरीदने के तीन महीने बाद किसी बीमारी का पता चलता है तो वह पहले से मौजूद बीमारी नहीं मानी जाएगी।