लखनऊ। राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ‘प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजना’ शुरू करने जा रही है। इस मद में मिलने वाले पैसों को खर्च करने की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी लैप्स नहीं होगा, जिससे जरूरत के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य कराए जा सके।
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उच्च स्तर पर सहमति बनने के बाद जल्द ही कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराने की तैयारी है। राज्य सरकार ने वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर 1500 तक की आबादी वाली ग्रामीण पंचायतों में रहने वालों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वयं के संसाधन से आय आधारित ‘पंचायत प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजन’ शुरू करने जा रही है। प्रदेश में मौजूदा समय 57691 ग्राम पंचायतें हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अुनसार 1000 तक की आबादी वाली 252 और 1001 से 1500 तक की आबादी वाली 11835 ग्राम पंचायतें हैं।इन ग्राम पंचायतों में विकास और अन्य जरूरी कामों के लिए केंद्रीय वित्त एवं राज्य वित्त आयोग से पैसा दिया जाता है।
पंचायतों को दी जानी जाने धनराशि का बंटवारा 90 प्रतिशत कुल जनसंख्या तथा 10 प्रतिशत अनुसूचित जाति व जनजाति की जनसंख्या को मानकर दिया जाता है। जनसंख्या के आधार पर पैसा दिए जाने की वजह से कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों को कम पैसा मिल पाता है। इसीलिए बिजली बिल, ग्राम प्रधानों का मानदेय, पंचायत सहायक मानदेय, सामुदायिक शौचालय खर्च तथा इसी तरह के अन्य खर्च के बाद पैसा कम बचने से विकास कार्य में बाधा आती है। इसीलिए ग्राम पंचायतों के लिए स्वयं के संसाधन से आय आधारित पंचायत प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजना शुरू करने की तैयारी है।
इस योजना में 50 हजार से लेकर दो लाख रुपये तक दिए जाएंगे। ग्राम पंचायतों को इसमें अपनी आय को मिलाते हुए विकास के काम कराने होंगे, जिससे लोगों को जरूरत के आधार पर सुविधाएं मिल सकें। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद डीएम की अध्यक्षता में गठित होने वाली कमेटी के माध्यम से यह राशि ग्राम पंचायतों को दी जाएगी।