शाहजहांपुर, । बेसिक शिक्षा विभाग में निलंबन और बहाली के खेल पर डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने अंकुश लगा दिया है। अब बीएसए किसी भी शिक्षक निलंबन नहीं कर सकेंगी। जरूरी होने पर डीएम की अनुमति पर ही किसी का निलंबन किया जाएगा। पिछले दिनों डीएम ने बेसिक शिक्षा विभाग के आफिस में छापेमारी की थी। इस दौरान निलंबन और बहाली का खेल पकड़ में आया था। डीएम ने सौ पन्नों की एक फाइल जब्त कर उसकी जांच मनरेगा डीसी से कराई थी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद डीएम ने समीक्षा की, इसके बाद गुरुवार को डीएम ने बीएसए को तलब किया। शिक्षक संगठनों के लोगों को भी बुलाया।
बैठक की शुरुआत में ही डीएम ने शिक्षकों की समस्याओं को एक एक करके पूछा। शिक्षक संगठनों ने बीएसए कार्यालय के बाबू तथा कार्यालय की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए समस्याओं की झड़ी लगा दी। शिक्षक संगठन के पदाधिकारी रत्नाकर दीक्षित ने शिक्षकों की समस्या को रखते हुए कहा कि छोटी से बात को लेकर शिक्षकों का निलंबन कर दिया जाता है तथा महिला शिक्षकों के सीसीएल अवकाश पर कई दिनों तक रोक कर परेशान किया जाता है, जिस पर डीएम ने बीएसए से सवाल किया तो बीएसए ने संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया, इस पर डीएम ने नाराजगी जताते हुए बीएसए से कहा कि बिना उनकी अनुमति से किसी भी शिक्षक को निलंबित नहीं किया
जाएगा। बड़े मामलों में उनकी सहमति से शिक्षकों का निलंबन होगा, इसके साथ सीसीएल अवकाश को तय समय में अप्रूव करने को कहा।
शिक्षकों की वेतन रोकने तथा अन्य शिकायतों पर डीएम ने सभी शिक्षकों के तत्काल वेतन निकलवाने के निर्देश दिए। अन्य कई शिक्षकों ने समस्याओं के बारे में बताया तो डीएम ने उन सभी समस्याओं के निराकरण करने को कहा।
फाइलों की जांच में एक तथ्य यह सामने निकलकर आया है। है कि 54 ऐसे शिक्षामित्र थे, जोकि 2021, 2022 व 2023 से स्कूलों में पढ़ाने नहीं आ रहे थे। जब बीएसए द्वारा इनकी जांच की गई तो मात्र इनका वेतन रोकने तक उनकी कार्यवाही सीमित रह गई। उसके बाद किसी शिक्षामित्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, जोकि बीएसए की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। आखिरकार जब 54 शिक्षामित्र में से कोई भी वेतन कटने के बाद भी नहीं आ रहा है, तो उन पर बीएसए ने अग्रिम कार्यवाही क्यों नहीं की। इसके साथ ही उक्त सूचना को बीएसए आफिस की फाइलों में समेटकर क्यों रख दिया और उसको उच्चाधिकारियों के संज्ञान में नहीं लाया गया।