प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संतान के लिए शादी किए बिना भी स्त्री पुरुष साथ रहने के हकदार हैं। कोर्ट ने अंतरधार्मिक लिव-इन जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने संभल के लिव-इन दंपती की नाबालिग बेटी की ओर से दायर याचिका पर दिया।
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याची के अधिवक्ता सैय्यद काशिफ अब्बास ने बताया कि बच्ची की मां के पहले पति की एक बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। इसके बाद महिला अलग धर्म के एक युवक के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी। इस दौरान उसे एक बच्चा भी हुआ।
इस रिश्ते से महिला के पहले ससुराल वाले नाखुश हैं। धमकी दे रहे हैं। ऐसे में बच्ची की ओर से याचिका दाखिल कर सुरक्षा की मांग की गई है। कहा गया कि पुलिस उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है।
खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि बिना विवाह के बालिग माता-पिता को साथ रहने का अधिकार है। अदालत ने संभल पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि यदि माता-पिता संबंधित पुलिस स्टेशन से संपर्क करते हैं तो प्राथमिकी दर्ज की जाए। कानून के अनुसार बच्चे और माता-पिता को आवश्यकतानुसार सुरक्षा दी जाए। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली।