10 April 2025

43 साल से शिक्षक भर्ती नहीं, नगर स्कूलों की संख्या 18 से घटकर 9, जानें पूरी खबर



शामली। शिक्षा व्यवस्था में सुधार और शहरी क्षेत्र में पढ़ाई पर अधिक ध्यान देने के लिए शहरी स्कूलों को नगर संवर्ग में शामिल करने का निर्णय उल्टा पड़ गया। लगभग 43 साल पहले 1981 में नियमावली बनाई गई थी, लेकिन नगर क्षेत्र में शिक्षकों की भर्ती कभी नहीं हो सकी। यही वजह है कि शहर के 9 स्कूल एक-एक शिक्षामित्र के सहारे चल रहे हैं, जबकि 9 स्कूलों को बंद करना पड़ा है, जिसके कारण छात्रों की संख्या में भी कमी आई है।

बेसिक शिक्षा परिषद के जिले में 596 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। शासन ने 1981 में बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली में नगरीय और ग्रामीण संवर्ग को अलग कर दिया था। इसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों में रिक्त पदों को भरने के लिए भर्तियां हुईं, लेकिन शहरी क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया गया। सरकार ने शहरी स्कूलों में रिक्त पदों को भरने के लिए एक बीच का रास्ता निकाला। तय हुआ कि ग्रामीण क्षेत्र में पांच साल की सेवा के बाद शिक्षकों को शहरी क्षेत्र में तैनात किया जाएगा, लेकिन उनकी वरिष्ठता वहां पहले से तैनात शिक्षकों से कम हो जाएगी। इस वजह से शिक्षकों ने नगर क्षेत्र में जाने में रुचि नहीं दिखाई। अब कई स्कूल शिक्षामित्रों या एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। 43 साल से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है, जबकि हर साल शिक्षक रिटायर होते रहते हैं।


एक-एक शिक्षामित्र के भरोसे नगर के स्कूल

नगर में नौ परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें छह प्राइमरी और तीन जूनियर स्कूल शामिल हैं। कंपोजिट विद्यालय नंदू प्रसाद में करीब 100 बच्चे हैं और केवल एक शिक्षामित्र है। प्राथमिक विद्यालय नंबर तीन गुजरातियान में 50 बच्चे एक शिक्षामित्र के भरोसे हैं। प्राथमिक विद्यालय कंपोजिट नंबर पांच लाजपतनगर में 100 बच्चों पर दो शिक्षामित्र हैं। प्राथमिक विद्यालय नंबर 7 में 70 बच्चे और एक शिक्षामित्र, प्राथमिक विद्यालय नंबर 13 रेलपार में 80 बच्चों पर दो शिक्षामित्र, प्राथमिक विद्यालय नंबर 15 गुलशननगर में 70 बच्चों पर एक शिक्षामित्र और एक सहायक अध्यापक, कन्या जूनियर कंपोजिट गुजरातियान में 170 बच्चों पर एक अध्यापक और दो शिक्षामित्र तैनात हैं। कन्या जूनियर कंपोजिट विद्यालय माजरा रोड में 120 बच्चों पर एक शिक्षक और एक शिक्षामित्र, बालक जूनियर बनखंडी में 250 बच्चों पर एक शिक्षामित्र और तीन अनुदेशक तैनात हैं।

नियमावली में संशोधन से हो सकता है समाधान

नगर के शिक्षक रविकांत और नीरज गोयल का कहना है कि नियमावली में संशोधन करके इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। यह जिम्मेदारी शासन की है। नगर क्षेत्र में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) बेहतर होता है और शिक्षक भी वहां काम करने को इच्छुक हैं। एक-एक शिक्षामित्र होने से बीमारी के दौरान परेशानी होती है और स्कूल बंद नहीं किया जा सकता, इसलिए दूसरे स्कूल से शिक्षक को अस्थायी रूप से जोड़ना पड़ता है।

18 से घटकर 9 रह गए स्कूल

शामली नगर में पहले 18 स्कूल चलते थे, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण पिछले कई वर्षों में यह संख्या घटकर 9 रह गई है। प्राथमिक विद्यालय 3 और 9 को कन्या जूनियर माजरा रोड में मिला दिया गया है। प्राथमिक नंबर 5, 2 और 1 को एक कर दिया गया है। इसी तरह 6 और 8 को कन्या जूनियर नंबर 1 में मर्ज कर दिया गया है।

30 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक

शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक 30 बच्चों पर एक शिक्षक और कक्षा 6 से 8 तक 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण ज्यादातर स्कूलों में यह मानक पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा शिक्षकों पर पढ़ाई के साथ-साथ अन्य विभागीय जिम्मेदारियां भी हैं।

यह बोले अधिकारी

जिले के सभी नगर स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। अगर विभागीय स्तर पर ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में शिक्षकों की तैनाती का नियम लागू हो जाए, तो शायद समस्या हल हो सकती है। शिक्षकों की कमी को लेकर समय-समय पर अधिकारियों को पत्र भेजे जाते हैं।

  • लता राठौर, बीएसए।