। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल की परीक्षा में शामिल होने वाली छात्राओं की संख्या चार दशक में 17 से बढ़कर 47 प्रतिशत तक पहुंच गई है। कमोवेश ऐसी ही स्थिति इंटरमीडिएट में है, पिछले चार दशक में इंटरमीडिएट में छात्राओं की संख्या 19 प्रतिशत से बढ़कर अब 46 प्रतिशत तक पहुंच गई। यूपी बोर्ड के ये आंकड़े सूबे में शिक्षा खास तौर से बालिका शिक्षा में बड़े बदलाव की गवाही दे रहे हैं।
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यूपी बोर्ड ने 1986 में जो परीक्षा आयोजित की थी, उसमें संस्थागत और व्यक्तिगत को मिलकर हाईस्कूल में 227381 छात्राएं पंजीकृत थीं। इसके चार दशक बाद 2025 में हुई बोर्ड की परीक्षा में यह संख्या लगभग छह गुना बढ़कर 1361888 हो गई। ठीक इसी तरह 1986 में इंटरमीडिएट में 117839 छात्राएं पंजीकृत थीं, 2025 की बोर्ड परीक्षा में यह संख्या नौ गुना इजाफे के साथ 1091804 हो गई। यूपी बोर्ड का परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद इसका असर भी साफ तौर पर देखा जा रहा है। ग्रामीण इलाके के स्कूलों के विद्यार्थी मेरिट में स्थान बनाने के साथ ही प्रदेश में टॉप भी कर रहे हैं। इस साल इंटर की टॉपर महक जायसवाल इसकी बानगी हैं। पिछले चार दशकों में छात्रों की तुलना में छात्राओं की सफलता का ग्राफ अधिक है।
प्रयागराज। छात्राओं की बढ़ती सफलता का ग्राफ शिक्षा जगत में एक सकारात्मक परिवर्तन का संकेत माना जा रहा है। हाल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि मेधावियों की सूची में छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस साल बोर्ड परीक्षा के मेधावियों की सूची में 85 में से 67 छात्राओं के नाम शामिल हैं। पिछले दस वर्षों के परिणाम पर नजर डालें तो 2016 और 2017 में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों में टॉपर बेटियां थीं। इसके बाद 2018 से लेकर 2025 तक हुई बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल या इंटर में से किसी एक में बेटी टॉप कर रही है। 2025 में हाईस्कूल में छात्र तो इंटर में छात्रा ने टॉप किया जबकि पिछले वर्ष हाईस्कूल में छात्रा और इटंर में छात्र ने टॉप किया था, यही स्थिति 2023 में भी थी। वर्ष 2025 हाईस्कूल में छात्रों से 7.21 फीसदी छात्राएं ज्यादा पास हुई हैं। वहीं, इंटर में 9.77 फीसदी बालक से ज्याद बालिकाएं पास हुई हैं।