प्रयागराज,। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि परिवीक्षा अवधि के दौरान कर्मचारी की असंतोषजनक सेवा पर जांच के बिना भी उसकी नियुक्ति रद्द की जा सकती है।
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कोर्ट ने कहा कि रोजगार के नियमों के तहत या संविदात्मक अधिकार के प्रयोग में किसी प्रोबेशनर की सेवाओं की समाप्ति न तो बर्खास्तगी है और न ही निष्कासन। हालांकि अगर आदेश कर्मचारी के चरित्र या ईमानदारी के विरुद्ध है तो यह दंड के रूप में एक आदेश होगा, भले ही कर्मचारी केवल प्रोबेशनर या अस्थायी हो। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने संजय कुमार सेंगर और केएल जैन इंटर कॉलेज की याचिकाओं पर दिया। याची संजय का 2006 में केएल जैन इंटर कॉलेज महामाया नगर में सहायक अध्यापक व्यायाम के पद पर चयन हुआ। वह प्रोबेशन पर थे।