बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साइक्लोस्टाइल आदेश पर कोर्ट तल्ख

 प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा साइक्लोस्टाइल आदेश जारी करने को गंभीरता से लिया है और प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।



कोर्ट ने उनसे पूछा है कि विवेक का इस्तेमाल किए बगैर अधिकारियों द्वारा साइक्लोस्टाइल आदेश क्यों और किस कारण से जारी किए जा रहे हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने जागृति पाठक की याचिका की सुनवाई पर एडवोकेट जैनेन्द्र पांडेय को सुनकर दिया है।

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कोर्ट ने बीएसए झांसी के 21 दिसंबर 2024 के आदेश पर रोक लगा दी है और याची को इस आदेश से पूर्व के स्कूल में काम करने देने का निर्देश दिया है। बीएसए ने जांच के बाद याची का निलंबन वापस लेकर बकाया वेतन सहित सेवा बहाल कर दिया और दूसरी ओर किसी निश्चित अवधि के लिए वेतन रोकने का आदेश दिया। साथ ही बिना कोई कारण बताए व बगैर सुनवाई का मौका दिए दूसरे स्कूल में तबादला कर दिया था। इस आदेश को चुनौती दी गई है।याची के अधिवक्ता जैनेन्द्र पांडेय का कहना है कि सुनवाई का अवसर दिए बगैर कड़ा दंड देना और अकारण तबादला करके याची के नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का हनन किया गया है। विवेक का इस्तेमाल किए बगैर साइक्लोस्टाइल आदेश देना नियम तीन का उल्लघंन है।


सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि ऐसे आदेश अक्सर आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी निंदा भी की है। इसके बावजूद साइक्लोस्टाइल आदेश जारी किए जा रहे हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से चार मार्च तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।