परिषदीय स्कूलों में बाल शिक्षा अधिकार बना सपना, अभिभावकों की उदासीनता से छात्र संख्या घटी




बिधूना। परिषदीय स्कूलों में बाल शिक्षा अधिकार महज एक सपना बनकर रह गया है। हर साल बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए स्कूल चलो अभियान चलाया जाता है। इस बार भी इस अभियान के तहत जागरूकता रैलियां निकाली गईं, लेकिन इसका असर नगण्य रहा। स्कूलों में छात्र संख्या इतनी कम है कि कई जगहों पर दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सका।



स्कूलों में बच्चों की संख्या नगण्य

अभिभावकों को प्रेरित करने के लिए स्कूल चलो अभियान के तहत गांव-गांव जाकर डोर-टू-डोर संपर्क किया गया, लेकिन इसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यही कारण है कि बिधूना ब्लॉक क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सांवलिया में इस बार कुल सात नामांकित छात्रों में से बुधवार को सिर्फ एक छात्र ही स्कूल पहुंचा।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवेंद्र कुमार ने बताया कि कक्षा 8 में 6 छात्र, कक्षा 7 में मात्र 1 छात्र और कक्षा 6 में इस वर्ष एक भी दाखिला नहीं हुआ है। विद्यालय में केवल एकल शिक्षक की तैनाती है।

एरवाकटरा ब्लॉक के स्कूलों की भी हालत खराब

बिधूना ही नहीं, एरवाकटरा ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बखौटिया में भी स्थिति चिंताजनक है। यहां कुल 21 बच्चों का पंजीकरण हुआ था, लेकिन बुधवार को मात्र 6 बच्चे ही स्कूल पहुंचे।

विद्यालय में प्रधानाध्यापक श्याम प्रकाश के साथ अरुण कुमार और सतेंद्र सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। कक्षा 1 में 5, कक्षा 2 में 6, कक्षा 3 में 5, कक्षा 4 में 2 और कक्षा 5 में 3 बच्चे पंजीकृत हैं। प्रधानाध्यापक ने बताया कि गांव में अभिभावकों को जागरूक करने के प्रयास किए गए थे, लेकिन नामांकन में वृद्धि नहीं हुई।
जिम्मेदारों का बयान

बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) एरवाकटरा और बिधूना, अल्केश कुमार ने कहा कि सांवलिया विद्यालय की स्थिति की जांच की जाएगी। दोनों गांवों में अभिभावकों के साथ बैठक कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे छात्र संख्या में वृद्धि हो सके।