नई दिल्ली। भारतीय अपनी आय का 33 से अधिक हिस्सा कर्ज की किस्तों को भरने पर खर्च कर रहे हैं। पीडब्ल्यूसी और परफियोस के एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। अध्ययन करने वालों का दावा है कि उन्होंने 30 लाख से अधिक तकनीक के जरिए वित्तीय लेन-देन करने वाले उपभोक्ताओं के खर्च व्यवहार का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष हासिल किया है।
हाउ इंडिया स्पेंड्स-यानी भारत कैसे खर्च करता है, नामक रिपोर्ट कहती है कि कर्ज की किस्त का भुगतान करने वाले लोगों की हिस्सेदारी उच्च-मध्यम स्तर की आय वालों में सबसे अधिक है। वहीं, प्रवेश स्तर की आय वालों में सबसे कम है। इसके अलावा, कम वेतन वाले वर्ग के लोग अनौपचारिक स्रोतों जैसे दोस्तों, परिवार या कर्ज देने वाली अंपजीकृत कंपनियों से ऋण ज्यादा लेते हैं। मोटे तौर पर, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय परिवार अपनी आय का 39 अनिवार्य व्ययों (जैसे ऋण की किस्तें), 32 आवश्यकताओं पर तथा 29 वैकल्पिक व्यय पर खर्च करते हैं।
जरूरतों की परिभाषा तय थी रिपोर्ट में कर्ज की अदायगी और बीमा प्रीमियम के भुगतान अनिवार्य खर्च की श्रेणी में रखा है। वहीं, ऑनलाइन गेमिंग, बाहर खाने या भोजन मंगवाने, यात्रा, मनोरंजन और जीवनशैली से जुड़ी खरीदारी वैकल्पिक खर्च में रखी गई हैं। पानी, बिजली, गैस का बिल, ईंधन, आदि को अनिवार्य खर्च में रखा गया है। प्रारंभिक स्तर की आय वालों से लेकर उच्च आय वालों तक विवेकाधीन व्यय पर खर्च की जाने वाली धनराशि का प्रतिशत क्रमश 22 से 33 तक बढ़ रहा है। अनिवार्य खर्चों के लिए भी यही प्रवृत्ति देखी गई है, जहां खर्च का प्रतिशत प्रवेश स्तर के आय वालों के लिए 34 से बढ़कर उच्च आय वालों के लिए 45 हो रहा है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, बढ़ती खपत के बावजूद, भारत की घरेलू बचत पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। वित्तीय परिसंपत्तियों में यह गिरावट व्यक्तिगत ऋणों में उछाल के साथ मेल खाती है, जो सितंबर 2024 तक साल-दर-साल 13.7 बढ़कर 55.3 खरब हो गए हैं।
अध्ययन का व्यापक दायरा
कर्ज लेने वालों में ऐसे लोग शामिल हैं जो मुख्य रूप से फिनटेक, एनबीएफसी और डिजिटल मंच का इस्तेमाल करते हैं। ये लोग टियर-3 से लेकर मेट्रो शहरों में रहने वाले हैं और इनका आय स्तर 20,000 रुपये प्रति माह से कम से लेकर 1,00,000 रुपये प्रति माह से अधिक था।
आय के स्तर से बदल रही जरूरतें
उच्च आय वर्ग के लोग सहज सुलभ ऋण की वजह से अच्छी जीवनशैली, वाहन खरीदने, छुट्टियों पर घूमने, सैरसपाटा या विलासिता का सामान खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। कम वेतन वाले लोग अपनी आय का ज्यादातर हिस्सा आवश्यकताओं को पूरा करने या कर्ज चुकाने में लगा रहे हैं।