अमरोहा। कोर्ट फीस के नाम पर 50 हजार रुपये लेने के मामले में डीडीसी, चकबंदी लेखपाल और स्टेनो फंस गए हैं। मामले में मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट ने चकबंदी आयुक्त लखनऊ को तीनों के खिलाफ जांच कर छह मार्च को कोर्ट में रिपोर्ट तलब की है।
आदमपुर गांव में किसान धीरज कुमार का परिवार रहता है। उनके पिता मलखान सिंह की ओर से चकबंदी न्यायालय में मुकदमा चल रहा है, जिसकी पैरवी धीरज करते हैं। आरोप है कि डीडीसी न्यायालय में खुशहाल बनाम मलखान की निगरानी एक अक्तूबर 2024 को दायर की गई थी। इसमें धीरज के पिता मलखान सिंह को पक्षकार बनाया था। 14 अक्तूबर को धीरज पिता व अन्य पक्षकारों की ओर से - सहमति प्रार्थनापत्र देकर निगरानी के
निस्तारण की मांग की थी।
आरोप है कि डीडीसी माया शंकर यादव ने नियत तिथि पर निगरानी का निस्तारण नहीं किया। इसके बाद धीरज डीडीसी माया शंकर यादव के पास पहुंचे तो उन्होंने स्टेनो अजहरुद्दीन व चकबंदी लेखपाल अमित कुमार को बुलाया। आरोप है कि उन्होंने कोर्ट फीस के नाम पर एक लाख रुपये जमा कराने की बात कही। इसके बाद 19 दिसंबर
2024 को धीरज ने कोर्ट फीस के रूप में 50 हजार रुपये जमा कर दिए। बकाया रुपये बाद में देने की बात कही थी। काफी समय बीत जाने के बाद डीडीसी ने निगरानी में कोई आदेश नहीं हुआ।
21 जनवरी की दोपहर एक बजे धीरज डीडीसी के पास पहुंचे। इस दौरान चकबंदी लेखपाल अमित व स्टेनो अजहरुद्दीन भी मौजूद थे। आरोप है कि डीडीसी ने बकाया 50
हजार रुपये कोर्ट फीस जमा करने के लिए दबाव बनाया और फीस जमा नहीं करने पर खिलाफ आदेश करने की बात कही। धीरज ने रुपये की व्यवस्था नहीं होने की बात कही तो डीडीसी यादव और चकबंदी लेखपाल अमित ने उसके पिता मलखान की जमीन पर चाचा चंद्रभान का चक बनाने की धमकी दी।
धीरज का आरोप है कि उसने डीडीसी व लेखपाल से रुपये वापस मांगे तो उन्होंने लौटाने से इन्कार कर दिया। गाली-गलौज की गई और अपमानित करते हुए जान से मरवाने की धमकी दी। पीड़ित धीरज ने मामले की शिकायत पुलिस से की तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा, उन्होंने कोर्ट की शरण ली। अब मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट ने चकबंदी आयुक्त लखनऊ को डीडीसी यादव, चकबंदी लेखपाल अमित और डीडीसी के स्टेनो अजहरुद्दीन के खिलाफ जांच कर रिपोर्ट छह मार्च को न्यायालय में तलब की है।
इन लोगों ने किसान के समर्थन में दिए शपथपत्र
किसान के समर्थन में देशराज, जीशान और मुकेश ने बतौर साक्ष्य प्रकरण को मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट ओमपाल सिंह ने गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कहा कि लोक सेवकों द्वारा अपने पद कर्तव्यों के निष्पादन में किए गए कार्य के लिए किसी भी न्यायालय द्वारा सरकार की स्वीकृति के बिना संज्ञान नहीं लिया जाएगा। प्रकरण में कोर्ट ने छह मार्च को रिपोर्ट तलब की है। हो सकता है कि चकबंदी आयुक्त लखनऊ की जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर कोर्ट एफआईआर दर्ज करने के आदेश कर सकता है।
किसने क्या शिकायत की है, यह मेरे संज्ञान में नहीं हैं। अगर किसी ने कोई आरोप लगाए गए हैं वह निराधार हैं। शिकायतकर्ता के पास कोई साक्ष्य है तो प्रस्तुत करें। कुछ लोग गलत काम कराने का दवाब बनाते हैं, अगर उनका काम हुआ तो ठीक वरना आरोप लगाते हैं। माया शंकर यादव, एडीएम न्यायिक/डीडीसी