नई दिल्ली: अमेठी से कांग्रेस के
सांसद किशोरी लाल शर्मा ने बुधवार पांच फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह मतदान समाप्त होने के बाद प्रत्येक मतदान केंद्र का फार्म-17 सी वेबसाइट पर डालें। शर्मा का कहना है कि फार्म 17सी की सार्वजनिक तौर पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जाना चाहिए। इससे पारदर्शिता आएगी और चुनावी अनियमितताओं पर रोक लगेगी। याचिका में कुल तीन याचिकाकर्ता हैं। किशोरी लाल शर्मा के अलावा कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा और प्रिया मिश्रा भी याचिकाकर्ता हैं। फार्म-17सी में एक मतदान केंद्र पर कितने वोट डाले गए इससे जुड़ी जानकारी होती है।
कांग्रेस नेताओं ने वकील नरेन्द्र मिश्रा के जरिये दाखिल की गई इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की है कि कोर्ट चुनाव की सुचिता सुनिश्चित करने और रदर्शिता के लिए आमजनता, मीडिया और राजनीतिक दलों को इन फार्म 17सी की समान रूप से उपलब्धता होने के लिए उचित आदेश जारी करे। याचिका में अंतरिम आदेश भी मांगा गया है जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को अंतरिम आदेश के तौर पर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के साथ ही आने वाले किसी भी चुनाव के फार्म 17सी तत्काल प्रभाव से वेबसाइट पर डालने का आदेश दे। याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग के जिस तरह मतदान के आंकड़े पब्लिश होते हैं, उनमें अप्रत्याशित अंतर होता है और ऐसा विधानसभा और लोकसभा
दोनों चुनाव के मतदान के बाद होता है। प्रत्येक मतदान केंद्र पर पड़े कुल मतों का ब्योरा रखने वाले महत्वपूर्ण दस्तावेज, फार्म 17 सी को वेबसाइट पर अपलोड करके इस प्रक्रिया को सुरक्षित किया जा सकता है। यह भी कहा गया है कि चुनाव को सुचिता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि यह सूचना सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हो। याचिकाकर्ताओं ने यह जनहित याचिका इसलिए दाखिल की है ताकि चुनाव अनियमितताओं से चुनाव प्रक्रिया नष्ट न हो और निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव व कानून का शासन सुनिश्चित हो। संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 में मिले मौलिक अधिकार व जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रविधान लागू होना सुनिश्चित हो। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा फार्म 17 सी की जानकारी सार्वजनिक नहीं करना चुनावी प्रक्रिया में पब्लिक ट्रस्ट को कम करता है और चुनावी प्रक्रिया के दूषित होने के बारे में चिंता उत्पन्न करता है। यह सूचना सार्वजनिक न करना आरटीआइ कानून का उल्लंघन है। मतदाता पोलिंग एजेंट या अन्य चीजों पर निर्भर रहते हैं। चुनाव आयोग यह सूचना उसी दिन सार्वजनिक डोमेन या सरकारी पोर्टल पर नहीं डालता।