इंजीनियरिंग कॉलेजों में नेट के बिना शिक्षक... मतभेद बढ़े

 

नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से पिछले दिनों जारी यूजीसी (नियम) रेग्यूलेशन 2025 के मसौदे पर अब नया विवाद खड़ा हो गया है। यूजीसी ने पिछले हफ्ते इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी 55 फीसदी अंकों के साथ नेट के बिना अस्सिटेंट प्रोफेसर बनने का बयान दिया था।



इस पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने आपत्ति जाहिर की है और उसने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर शिकायत की है। इसमें एआईसीटीई विनियमित संस्थानों से संबंधित यूजीसी की घोषणाओं पर बिना उससे परामर्श किए बयान देने पर नाराजगी जाहिर की गई है।


दरअसल, पिछले हफ्ते यूजीसी ने यूजीसी रेग्यूलेशन 2025 के तहत नेट के बिना शिक्षक बनने पर उठे सवालों पर स्पष्टीकरण जारी किया था। इसमें लिखा था कि 55 फीसदी अंकों के साथ यूजीसी नेट के बिना भी इंजीनियरिंग कॉलेजों में अस्सिटेंट प्रोफेसर बन सकते हैं।


एआईसीटीई के इंजीनियरिंग और

प्रौद्योगिकी विषय के लिए शिक्षक भर्ती के लिए ये नियम व शर्तें हैं। इसी पर एआईसीटीई ने केंद्र के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है।


उसका कहना है कि एआईसीटीई से बिना कोई राय, चर्चा और बैठक के यूजीसी किस आधार पर एआईसीटीई शिक्षक भर्ती नियमों पर टिप्पणी कर सकता है, जबकि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। यूजीसी की इस टिप्पणी से शिक्षकों में असमंजस की स्थिति है।




दोनों ही उच्च शिक्षा के नियामक संस्था

दोनों ही देश की उच्च शिक्षक नियामक संस्था हैं। एआईसीटीई तकनीकी कॉलेजों और यूजीसी सामान्य विश्वविद्यालयों में डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई, परीक्षा और मूल्यांकन, अनुसंधान के मानकों के समन्वय, निर्धारण और रख-रखाव के लिए वैधानिक संगठन है। ऐसे में दोनों के बीच की दूरियां उच्च शिक्षा की रफ्तार को प्रभावित करेंगी।