लखनऊः केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्कूलों में अब कक्षा छठी से बच्चों को कौशल आधारित कोर्स करने का मौका मिलेगा। सीबीएसई ने स्कूल शिक्षा में स्किल एजुकेशन को अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए सभी स्कूलों को निर्देश दिया है। इससे छात्रों को भविष्य की चुनौती और अवसरों के लिए तैयार किया जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (एनसीआरएफ) के तहत स्किल एजुकेशन शुरू किया जाएगा। इसमें कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए स्किल माड्यूल्स बनाए गए हैं। छात्र एक या अधिक माड्यूल चुन सकते हैं, जो प्रोजेक्ट आधारित मूल्यांकन के तहत होंगे। कक्षा 9-10 में 22 स्किल विषय और कक्षा 11-12 में 43 स्किल विषय होंगे। स्कूल इन विषयों को बिना किसी अलग अनुमति या शुल्क के शामिल कर सकते हैं। सभी स्कूलों को अगले तीन वर्ष में कंपोजिट स्किल लैब स्थापित करनी होगी। इसके लिए जरूरी उपकरणों और संरचना की जानकारी जल्द ही उपलब्ध कराई जाएगी।
छात्रों की शैक्षणिक और व्यावसायिक शिक्षा के बीच तालमेल बैठाने के लिए एनसीआरएफ लागू किया गया है, जिसमें क्रेडिट ट्रांसफर और मल्टीपल एंट्री एग्जिट की सुविधा होगी। इसके स्किल एजुकेशन लागू करने में मार्गदर्शन के लिए हर जिले में जिला कौशल समन्वयक (डीएससी) नियुक्ति किए जाएंगे। शिक्षकों और
प्रधानाचार्यों को भी इसमें प्रशिक्षित किया जाएगा।
सभी कार्यक्रम उद्योगों और सेक्टर स्किल काउंसिल के साथ आयोजित किए जाएंगे। छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए स्किल एक्सपो, करियर गाइडेंस, हैकाथन, बूटकैंप, ओलिंपियाड और इंडस्ट्री एंगेजमेंट कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूल इन पहल को लागू करने के लिए सीबीएसई के दिए गए पोर्टल और फार्म का उपयोग कर सकते हैं।
सीबीएसई स्कूल सहोदय कांप्लेक्स की ज्वाइंट सेक्रेटरी डा. प्रेरणा मित्रा ने बताया स्किल आधारित कोर्स बच्चों के लिए उपयोगी होंगे। इससे करियर के नए अवसर खुलेंगे। हालांकि सभी स्कूलों में सभी तरह के पाठ्यक्रम शुरू करने में चुनौती भी आ सकती है।
प्रमुख स्किल माड्यूल्स
आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस (केवल कक्षा 8 के लिए), ब्लू पाटरी, डिजिटल सिटीजनशिप, फूड प्रिजर्वेशन, कोडिंग, यात्रा और पर्यटन, फोटोग्राफी आदि हैं।