05 January 2025

बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य, जानें मसौदा प्रस्ताव में और क्या

 

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केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी)-2025 का मसौदा जारी कर दिया है। इसमें नाबालिग बच्चों और दिव्यांगों के व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा पर जोर दिया गया है, हालांकि इसके उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं है। मसौदे के अनुसार, बच्चों के डाटा का किसी भी रूप में इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। यानी, माता-पिता की सहमति के बिना कोई भी डाटा फिड्यूशरीज (व्यक्तिगत डाटा एकत्र करने व इसका इस्तेमाल करने वाली संस्थाएं) बच्चों का डाटा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी।







करीब 14 महीने पहले संसद की ओर से डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम-2023 को मंजूरी देने के बाद मसौदा नियम सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किए गए हैं। मसौदा माईजीओवी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इसका उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करना है। मसौदा नियमों में डिजिटल डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति लेने, डाटा प्रसंस्करण निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रावधान तय किए गए हैं। नियमों में व्यक्तियों से स्पष्ट सहमति हासिल करने के लिए एक तंत्र बनाने की बात कही गई है। 18 फरवरी के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।





दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान नहीं



मसौदे के अनुसार, डाटा फिड्यूशरी को यह जांच करनी होगी कि बच्चे के माता-पिता के रूप में खुद की पहचान बताने वाला व्यक्ति वयस्क है और भारत में लागू कानून का पालन करने वाला है। डाटा फिड्यूशरी बच्चों का डाटा केवल उस समय तक ही रख सकेंगे, जिसके लिए सहमति दी गई है। इसके बाद इसे हटाना होगा।



 


मसौदा नियमों की कुछ प्रमुख बातें



उपभोक्ताओं को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।


उपयोगकर्ता अपने डेटा को हटाने की मांग कर सकेंगे।



कंपनियों को अपने व्यक्तिगत डेटा के बारे में अधिक पारदर्शी होना होगा।


उपभोक्ताओं को यह पूछने का अधिकार होगा कि उनका डेटा क्यों एकत्र किया जा रहा है।


डेटा उल्लंघन के लिए 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।




 


नियमों में बिक्री के लिए सामान देने वाला विक्रेता शामिल नहीं


नियमों में 'ई-कॉमर्स इकाई' को ऐसे किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म का स्वामित्व या प्रबंधन करता है, लेकिन इसमें परिभाषित ई-कॉमर्स इकाई के बाजार में बिक्री के लिए सामान या सेवाओं की पेशकश करने वाला विक्रेता शामिल नहीं है। 


 




ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ और सोशल मीडिया गेमिंग मध्यस्त


मसौदा नियमों के अनुसार, 'ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ' का तात्पर्य किसी ऐसे मध्यस्थ से है जो अपने कंप्यूटर संसाधन के उपयोगकर्ताओं को एक या अधिक ऑनलाइन गेम तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, और 'सोशल मीडिया मध्यस्थ' से तात्पर्य सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) में परिभाषित मध्यस्थ से है, जो मुख्य रूप से या पूरी तरह से दो या अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच ऑनलाइन बातचीत को सक्षम बनाता है और उन्हें अपनी सेवाओं का उपयोग करके जानकारी बनाने, अपलोड करने, साझा करने, प्रसारित करने, संशोधित करने या उस तक पहुंचने की अनुमति देता है।


डीपीडीपी अधिनियम के मसौदे में क्या?


मसौदा अधिसूचना में कहा गया है, 'डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (2023 का 22) की धारा 40 की उप-धाराओं (1) और (2) की तरफ से प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार की तरफ से अधिनियम के लागू होने की तिथि को या उसके बाद बनाए जाने वाले प्रस्तावित नियमों का मसौदा, इससे प्रभावित होने वाले सभी व्यक्तियों की जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है।' मसौदा नियमों में डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति प्रसंस्करण, डेटा प्रसंस्करण निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रावधान निर्धारित किए गए हैं।


 


मसौदा नियमों पर 18 फरवरी के बाद किया जाएगा विचार


वहीं अधिसूचना में कहा गया है, '...इसके तरफ से यह सूचित किया जाता है कि उक्त मसौदा नियमों पर 18 फरवरी, 2025 के बाद विचार किया जाएगा।' मसौदा नियमों में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत स्वीकृत दंड का उल्लेख नहीं किया गया है। अधिनियम में डेटा के लिए जिम्मेदारों- व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के उद्देश्य और साधन निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।