Primary ka master: विभागीय लेटलतीफी का मिला लाभ, हाईकोर्ट पहुंचे बर्खास्त शिक्षक

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 महराजगंज। जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर लगभग 17 बर्खास्त शिक्षकों पर दो वर्ष बाद धोखाधड़ी का केस तो दर्ज तो करा दिया गया, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से त्वरित कार्रवाई न होने का लाभ उठाते हुए बर्खास्त शिक्षकों में से तीन हाईकोर्ट पहुंच गए हैं।


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दर्ज केस को चुनौती देते हुए कहा गया है कि बर्खास्तगी के दो वर्ष बाद मौजूदा बीएसए और बीईओ कैसे केस दर्ज करा सकते हैं जब वह बर्खास्तगी के समय तैनात ही नहीं थे। मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद पुलिस बैकफुट पर आ गई है और निर्णय आने के इंतजार में है।










फर्जी अंकपत्र के सहारे नौकरी करने वाले शिक्षकों को बर्खास्त तो लगभग दो वर्ष पहले किया गया, लेकिन त्वरित मुकदमा कराने की जगह विभाग शायद इस लिए मौन रही क्योंकि भय था कि विभागीय सक्रियता पर सवाल न खड़ा होने पाए। अक्टूबर 2024 के बाद एक बार फिर फर्जी शिक्षकों का राजफाश करते हुए बीएसए ने बर्खास्तगी शुरू की तो यह मसला भी उठा कि पूर्व के बर्खास्त शिक्षकों पर विभाग ने अबतक मुकदमा क्यों नहीं कराया तो बीएसए ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया उनके क्षेत्र में अबतक जितने भी शिक्षकों की बर्खास्तगी हुई है उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा सदर कोतवाली में दर्ज कराएं।



पहले तो खंड शिक्षा अधिकारियों ने इसे हल्के में लिया, लेकिन बीएसए ने जब बीईओ कार्यशैली पर राज्य स्तर पर पत्राचार किया तो सभी बीईओ ने तत्परता दिखाते हुए विभिन्न तिथियों में मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन अधिकतर बर्खास्त शिक्षकों का मौजूदा पता उपलब्ध कराने की जगह पुलिस को सिर्फ इतना ही बताया गया कि किस वर्ष किस तारीख को शिक्षक बर्खास्त हुए और वह तैनात कहां थे।



मौजूदा पता अथवा घर का पता न देने का लाभ दोषी शिक्षकों को मिल गया और जबतक पुलिस एड्रेस पता कर संपर्क करती तब तक तीन बर्खास्त शिक्षक हाईकोर्ट पहुंच गए। याचिका दी है कि बर्खास्तगी के इतने दिन बाद उनपर वह अधिकारी कैसे मुकदमा करा सकते हैं जब उस समय इनकी जिले में तैनाती ही नहीं थी। हालांकि माना जा रहा कि इस वाद में दम नहीं है और यह खारिज हो जाएगा, लेकिन जबतक खारिज नहीं होता तबतक कुछ और तैयारी करने के लिए वक्त तो मिल ही गया।