शिक्षिका का कारनामा: बिना स्कूल गए उठा रहीं लाखों की तनख्वाह, सीडीओ ने दी जांच के आदेश, BSA की क़रीबी है शिक्षिका

मऊ जनपद में  विभागीय उच्चाधिकारियों से मिली भगत के बाद प्रभावशाली शिक्षक परिषदीय विद्यालयों में चल रही सरकार की योजनाओं में किस तरह से पलीता लगा रहे इसकी बानगी मऊ जिले के कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय रणवीरपुर

में देखने को मिल रही।

यहां की अध्यापिका रागिनी मिश्रा हफ्तों बाद स्कूल आती हैं,और जिस दिन विद्यालय में पहुंचती हैं,उस दिन थोक के भाव उपस्थिति पंजिका पर बीते सभी दिनों की उपस्थिति एक साथ दर्ज करती हैं। विभाग में उनके इस कारनामे की दबी जुबान से तो सभी चर्चा करते हैं,परंतु सामने से बोलने की हिम्मत किसी में नहीं।

BSA की क़रीबी है रागिनी मिश्रा

अध्यापकों की मानें तो रागिनी मिश्रा बीएसए की बेहद करीबी हैं और धौंस दिखा कर विद्यालय नहीं जातीं। यही नहीं यदि कोई अध्यापक इसका विरोध करता तो बड़े ऑफिस से पहुंच कर लोग उस विरोध करने अध्यापक का वेतन गुणवत्ता के नाम पर रोक देते हैं।

उपस्थिति पंजिका देखने पर स्पष्ट रूप से दिख रहा कि रागिनी के समक्ष वाला कॉलम 26 नवंबर से 3 दिसंबर तक लगातार खाली है,जबकि बाकी अध्यापकों की उपस्थिति बनी हुई है। 4 दिसंबर को वो विद्यालय में आ कर सभी छूटे हुए कार्य दिवसों की उपस्थिति एक साथ बना देती हैं।

ठीक ऐसा ही 11 और 12 नवम्बर को रागिनी मिश्रा का स्थान उपस्थिति रजिस्टर में खाली है न तो कोई अवकाश लगा है न तो गैरहाज़िरी, जबकि बाद में उपस्थिति दर्ज हो गई है।

उपस्थिति रजिस्टर

उपस्थिति रजिस्टर

सरकार द्वारा गुणवत्ता को लेकर हुई महत्वपूर्ण परीक्षा के दिन भी विभागीय कार्यों को ठेंगा दिखाकर वो गायब हैं। सबसे हास्यास्पद बात इसमें ये हैं कि ये सब बीएसए की जानकारी में हो रहा और बीएसए से उनकी नजदीकियां किसी से छुपी नहीं हैं।

अब अगर इसी तरह से शह देकर अध्यापकों से शिक्षण कार्य नहीं करवाया जायेगा तो क्या यह संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के अधिकार कानून की अवहेलना नहीं है??? आखिर इन बच्चों के साथ अन्याय क्यों हो रहा???? क्या इस संबंध ने इस अध्यापिका का कोई उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है या सरकार की योजनाओं को ऐसे ही पलीता लगता रहेगा,वहीं छोटे छोटे बच्चों को प्रदत्त मूल अधिकारों की अवहेलना होती रहेगी?

मीडिया जब स्कूल पहुंची तो मामले का हुआ खुलासा


वहीं जब शिकायत पर वस्तुस्थिति जानने के लिए विद्यालय पर मीडिया पहुंची तो रागिनी मिश्रा विद्यालय पर बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाई गईं। प्रभारी प्रधानाध्यापक से पूछने पर उन्होंने कहा कि रागिनी ने कोई छुट्टी नहीं ली है। मीडिया के वहां पहुंचने के 1 घंटे बाद उनका व्हाट्सअप पर संदेश आया कि मैं मेडिकल लीव पर हूं। जबकि उसके एक दिन पहले रविवार के दिन पल्स पोलियों महाअभियान के दिन जबकि सारे विद्यालय जिलाधिकारी के आदेश पर खुले थे,जबकि उस दिन भी रागिनी मिश्रा अनुपस्थित थी।


वहीं अध्यापकों ने कैमरे के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा कि रागिनी मिश्रा के खिलाफ हम लोग कुछ भी नहीं बोल सकते,यदि कुछ भी बोले तो हम लोगों का वेतन गुणवत्ता के नाम पर रोक दिया जायेगा। अध्यापक तो अध्यापक बच्चे भी रागिनी मिश्रा के बारे में यही कहते हुए नजर आए कि मैडम हमेशा लंच के बाद आतीं हैं और पढ़ाती भी नहीं हैं। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ जन्मदिन मनाते हुए इनका वीडियो खूब वायरल हो रहा,जो कहीं न कहीं बीएसए से इनकी नजदीकियों को उजागर कर रहा।

इस संबंध में जब बीएसए से पूछा गया तो उन्होंने इसका सारा दोष प्रधानाध्यापक पर मढ़ते हुए कहा कि यदि कोई विद्यालय नहीं आ रहा तो प्रधानाध्यापक को उन्हें अनुपस्थित करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। वायरल वीडियो के बारे में पूछने पर बीएसए ने कहा कि वो सभी के सुख दुख में शामिल होते हैं,यदि अध्यापिका ने बुलाया होगा तो वो शामिल हुए होंगे।

वहीं इस पूरे मामले पर सीडीओ प्रशांत नागर ने कहा कि मामले की जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सख्त कार्रवाई की जायेगी। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर किसी शिक्षिका में इतनी ताकत कहां से आई कि उसके खिलाफ न ही कोई अध्यापक बोल पा रहा न ही प्रधानाध्यापक उसे अनुपस्थित दिखा पा रहा।

सबकी चुप्पी आखिर किस तरफ इशारा कर रही?? क्या किसी अधिकारी का धौंस है या फिर मामला कुछ और, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।

वहीं सोमवार को जब शिकायत पर वस्तुस्थिति जानने के लिए विद्यालय पर मीडिया पहुंची तो रागिनी मिश्रा विद्यालय पर बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाई गईं। प्रभारी प्रधानाध्यापक से पूछने पर उन्होंने कहा कि रागिनी ने कोई छुट्टी नहीं ली है। मीडिया के वहां पहुंचने के 1 घंटे बाद उनका व्हाट्सअप पर संदेश आया कि मैं मेडिकल लीव पर हूं। जबकि उसके एक दिन पहले रविवार के दिन पल्स पोलियों महाअभियान के दिन जबकि सारे विद्यालय जिलाधिकारी के आदेश पर खुले थे,जबकि उस दिन भी रागिनी मिश्रा अनुपस्थित थी।

वहीं अध्यापकों ने कैमरे के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा कि रागिनी मिश्रा के खिलाफ हम लोग कुछ भी नहीं बोल सकते,यदि कुछ भी बोले तो हम लोगों का वेतन गुणवत्ता के नाम पर रोक दिया जायेगा।

अध्यापक तो अध्यापक बच्चे भी रागिनी मिश्रा के बारे में यही कहते हुए नजर आए कि मैडम हमेशा लंच के बाद आतीं हैं और पढ़ाती भी नहीं हैं।

वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ जन्मदिन मनाते हुए इनका वीडियो खूब वायरल हो रहा,जो कहीं न कहीं बीएसए से इनकी नजदीकियों को उजागर कर रहा।

इस संबंध में जब बीएसए से पूछा गया तो उन्होंने इसका सारा दोष प्रधानाध्यापक पर मढ़ते हुए कहा कि यदि कोई विद्यालय नहीं आ रहा तो प्रधानाध्यापक को उन्हें अनुपस्थित करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। वायरल वीडियो के बारे में पूछने पर बीएसए ने कहा कि वो सभी के सुख दुख में शामिल होते हैं,यदि अध्यापिका ने बुलाया होगा तो वो शामिल हुए होंगे।

वहीं इस पूरे मामले पर सीडीओ प्रशांत नागर ने कहा कि मामले की जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सख्त कार्रवाई की जायेगी।

अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर किसी शिक्षिका में इतनी ताकत कहां से आई कि उसके खिलाफ न ही कोई अध्यापक बोल पा रहा न ही प्रधानाध्यापक उसे अनुपस्थित दिखा पा रहा।

सबकी चुप्पी आखिर किस तरफ इशारा कर रही?? क्या किसी अधिकारी का धौंस है या फिर मामला कुछ और, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।