प्रयागराज, । सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपनाई जा रही शिक्षक भर्ती नीति को सही मानते हुई इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के गत 18 जनवरी के आदेश को खारिज कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र की खंडपीठ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अपील पर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा यह भी मानना है कि टेबल 3ए और 3बी में निर्धारित उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग के लिए मानदंड विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए यूजीसी द्वारा तैयार की गई पूरी योजना के अनुसार थे। टेबल 3ए और 3बी के खंड 7, जिसमें रेगुलेशन 10 के साथ सीधा संबंध है, उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने उपरोक्त प्रकार की कोई टिप्पणी करने के लिए नहीं कहा था। उक्त खंडपीठ को शिक्षण अनुभव को अनिवार्य पात्रता मानदंड नहीं मानने के कारण अपने निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रभावित नहीं होना चाहिए था। रेगुलेशन 10 में निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाला उम्मीदवार शिक्षण अनुभव या पोस्ट-डॉक्टरल अनुभव के लिए अंक प्राप्त करने का हकदार होगा, जिसके लिए 10 अंकों की सीमा निर्धारित की गई है। रेगुलेशन 10 अपने आप में स्पष्ट रूप से कहता है कि पिछली सेवाओं का प्रदान करना सीधी भर्ती के लिए एक आवश्यक शर्त नहीं है। यदि वास्तव में उम्मीदवार ने अतीत में सेवा की है और रेगुलेशन 10 द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का जवाब देता है, जो टेबल 3ए या 3बी के खंड 7 के साथ पढ़ा जाता है, वह शिक्षण अनुभव के लिए अंक प्राप्त करने का हकदार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में हमारा मानना है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने विवादास्पद मुद्दों को सही दृष्टिकोण से समझने में पूरी तरह से गलती की और ऐसे निष्कर्ष दिए जो न केवल अनावश्यक हैं बल्कि पूरी तरह से अस्वीकार्य भी हैं।
गौरतलब है कि गीतांजलि पांडेय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हो रही शिक्षक भर्ती में एपीआई अंक की गणना में अतिथि प्रवक्ता के तौर पर यूजीसी ग्रेड पे मानक से कम पर किये गए शिक्षण कार्य के अनुभव के लिए प्रति वर्ष दो अंक की मांग की थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इस मामले में अपनी विस्तृत रिपोर्ट और विशेषज्ञ समिति की स्क्रीनिंग प्रक्रिया का हवाला देते हुए यूजीसी ग्रेड पे से यूजीसी से कम के वेतनमान पर किए गए कार्य को शैक्षिक कार्य अनुभव के रूप में स्वीकार नहीं किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की दलील को सही मानते हुए गीतांजलि पांडेय एवं ब्रह्मदेव की याचिका खारिज कर दी थी। अभ्यर्थियों ने इस आदेश को दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी। खंडपीठ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विरुद्ध आदेश आदेश किया।
इस पर इलाहाबाद विश्विद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करते हुए अपने नीतिगत निर्णय और नीति का ब्योरा प्रस्तुत किया। सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाइकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ के निर्णय को खारिज कर दिया। साथ ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अपनाई गई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को सही मानते हुए अपील निस्तारित कर दी।