आधार की तरह डिजिटल पहचान होगा छात्रों का 'अपार', खुद ऐसे बनवाएं, ये हैं फायदें


आधार की तरह अब 'अपार' (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री) छात्रों की डिजिटल पहचान बनेगा। 12 अंकों की आईडी दी जाएगी। इसे स्कूल यू-डायस और आधार से सत्यापन कर बनाया जाएगा। अभिभावकों को स्कूल में सहमति पत्र देना होगा। एनसीईआरटी ने नौ और 10 दिसंबर को मेगा अपार दिवस घोषित किया है। अपार आईडी को एकेडमिक पासपोर्ट माना जाएगा। छात्र की पढ़ाई का रिकॉर्ड रहेगा, हमेशा डिजिलॉकर में सुरक्षित रहेगा।



'अपार' बनवाने की जिम्मेदारी स्कूलों की है। यदि आपके बच्चे की आईडी नहीं बनी तो उसे स्कूल के माध्यम से बनवा सकते हैं। इसके लिए अभिभावक को स्कूल जाना होगा। वहां प्रबंधक सहमति पत्र का फॉर्म देगा जिसे भर कर अभिभावक को जमा करना होगा। आधार नंबर और यू-डायस (विशिष्ट नंबर) से वेरीफाई कराने की जिम्मेदारी स्कूल की होगी। सत्यापन पूरा होते ही आईडी नंबर व कार्ड जनरेट हो जाएगा। इसे डाउनलोड किया जा सकता है। यह आईडी छात्र के डिजिलॉकर में सुरक्षित हो जाएगी। एनसीईआरटी ने नौ और 10 दिसंबर को विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए अभिभावकों और स्कूलों को जागरूक किया गया है।


यह लाभ मिलेगा

अपार आईडी से छात्र का पूरा एकेडमिक रिकॉर्ड एक स्थान पर एकत्रित होता रहेगा जो उसके क्रेडिट सिस्टम के लिए लाभकारी होगा। इसके खोने का भी कोई खतरा नहीं रहेगा। ड्रॉप आउट बच्चों की सही संख्या पता चल सकेगी और उन्हें ट्रेस किया जा सकेगा। किसी भी दूसरे स्कूल में प्रवेश लेना आसान होगा। डिजिलॉकर से एक ही बार में छात्र के एकेडमिक रिकॉर्ड का सत्यापन हो जाएगा। इससे एकेडमिक भ्रष्टाचार रोकने में भी मदद मिलेगी। एक छात्र दो स्थानों पर प्रवेश लेकर नहीं पढ़ सकेगा।


बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरजीत कुमार सिंह ने बताया कि 'अपार' लागू है। किसी बच्चे की आईडी नहीं बनी है तो स्कूल में सहमति पत्र देकर इसे जनरेट करा सकता है। शैक्षिक समेत छात्र के सभी रिकॉर्ड इसमें सुरक्षित रहेंगे।