महराजगंज। जनपद में एमडीएम बर्तन खरीद और स्पोर्ट्स ग्रांट में बड़े घोटाले के संकेत शुरुआती जांच में मिल रहे हैं। अधिकतर स्कूल में बर्तन और खेल सामग्री की उपलब्धता नहीं मिल रही है। स्कूल प्रधानाध्यापक रसीद तक नहीं दिखा पा रहे हैं कि कौन सा बर्तन अथवा खेल उपकरण कब और कहां से खरीदा गया।
यह पहली बार नहीं बल्कि वर्ष 2021 से ही किया जा रहा है। एमडीएम के लिए बर्तन और खेल सामग्री खरीदने के लिए प्रत्येक वर्ष धन जारी तो हुआ, लेकिन कभी जांच नहीं हुई कि जिस मद के लिए धन दिया जा रहा है वह पूर्ण हुआ भी अथवा नहीं। इस बार जांच क्या प्रारंभ हुई परत दर परत कारनामे उजागर होने लगे। अगर निष्पक्ष जांच जनपद में हो गई तो निश्चित ही घोटाले का बड़ा राजफाश हो सकता है।
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जिले में 1705 परिषदीय स्कूलों में 2.48 लाख विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन स्कूलों में मध्याह्न भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है। स् कूल में इसके लिए बर्तन की कमी न होने पाए इसके लिए बेसिक शिक्षा का एमडीएम प्राधिकरण 2021 से प्रति वर्ष 20-20 हजार रुपये एमडीएम बर्तन क्रय करने के लिए भेजता है, लेकिन इस पैसे का उपयोग बर्तन खरीदने के लिए नहीं बल्कि बंदरबांट में होता है। जांच में स्कूलों में मिल रहे टूटे-फूटे और छिद्र वाले बर्तन इसकी गवाही दे रहे हैं कि उन्हें वर्षों से नहीं बदला गया। इसी तरह स्पोर्ट्स ग्रांट में भी 10 से 15 हजार रुपये स्कूलवार भेजे गए, लेकिन धन आहरण के बाद भी इसकी व्यवस्था करना अधिकतर प्रधानाध्यापकों ने नहीं समझा। बेसिक शिक्षा अधिकारी के निरीक्षण में 10 स्कूलों में यह गड़बड़ी मिली।
रिपोर्ट संज्ञान में लेकर डीएम अनुनय झा ने अन्य विभागों के अधिकारियों को क्षेत्रवार जिम्मेदारी शनिवार को सौंपी तो परत दर परत खुलने लगी है। स्कूलों का नौतनवां श्रेत्र में निरीक्षण सीएमओ डाॅ. श्रीकांत शुक्ला ने किया। जांच में अधिकतर स्कूलों में न खेल उपकरण मिले न नए बर्तन ही दिखे।
इतना ही नहीं इस वर्ष और पहले की रसीद भी नहीं मिली कि क्या और कब खरीदा गया। कुछ स्कूलों में यह बताया गया कि प्रधान एमडीएम बर्तन खरीदकर अपने घर ले गये स्कूल में नहीं दे रहे। जबकि यह रकम सिर्फ प्रधान व प्रधानाध्यापक के संयुक्त खाते में जरूर जाती है, लेकिन पैसा निकालने की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक की ही रहती है। यह सिर्फ सीएमओ की जांच रिपोर्ट है। अन्य क्षेत्रों में दूसरे अधिकारियों ने निरीक्षण किया।