यूपी के शिक्षामित्रों को बड़ा झटका!, मानदेय बढ़ाने और स्‍थाई नौकरी व मानदेय पर सरकार का ये रुख

 

यूपी में तैनात शिक्षामित्र लंबे समय से मानदेय बढ़ाने और नियमित करने की मांग कर रहे हैं. इसी बीच सरकार के जवाब से उन्‍हें निराश होना पड़ सकता है.



यूपी के शिक्षामित्रों को बड़ा झटका लगा है. मानदेय बढ़ने और नियम‍ित होने की राह देख रहे शिक्षामित्रों को निराश होना पड़ सकता है. यूपी के शिक्षामित्रों का न तो अभी मानदेय बढ़ेगा और न ही उन्‍हें नियमित किया जाएगा. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी है. 




बेसिक शिक्षा मंत्री ने दिए जवाब  

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सपा विधायक पंकज मलिक ने बेसिक शिक्षा मंत्री से पूछा था कि सरकार यूपी के शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने और नियमित करने को लेकर क्‍या विचार कर रही है?, इस पर यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने जवाब दिया कि मानदेय बढ़ाने या नियमित करने का हाल फ‍िलहाल में कोई विचार नहीं है. सरकार के इस जवाब से शिक्षामित्रों को निराश होना पड़ सकता है. 



20 हजार शिक्षामित्रों ने छोड़ी नौकरी

बता दें कि यूपी में वर्तमान में करीब 1 लाख 48 हजार शिक्षामित्र तैनात है. प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक छात्र का अनुपात 1:30 होना चाहिए, लेकिन यह अनुपात 1:22 हो गया है. यूपी में करीब 20 हजार से ज्‍यादा शिक्षामित्रों ने मानदेय न बढ़ाने और अन्‍य कारणों से नौकरी छोड़ दी. शिक्षामित्र लंबे समय से मानदेय बढ़ाने और नियमित करने की मांग करते रहे हैं. शिक्षामित्रों की संख्याबल के कारण ही शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि फिलहाल सहायक टीचर भर्ती की आवश्यकता नहीं है. 



सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था समायोजन

गौरतलब है कि साल 2001 में उत्‍तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी. समाजवादी पार्टी के शासनकाल में 2013-14 में 1 लाख 78 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्‍यापक के पद पर समायोजित किया गया था. हालांकि, इस समायोजन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की गई. हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द करने का आदेश दे दिया था. इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला सुनाते हुए समायोजन रद्द कर दिया था.