शिक्षक की बर्खास्तगी का कार्यपरिषद का आदेश निरस्त




लखनऊ। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में एक और शिक्षक के खिलाफ हुई सेवा समाप्ति की कार्रवाई को कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने निरस्त कर दिया है। मामले में नियमों का परीक्षण कर शिक्षक को सुनवाई का मौका देते हुए चार सप्ताह में प्रकरण के निस्तारण का आदेश दिया है। इंजीनियरिंग संकाय में तैनात इस शिक्षक की सेवा समाप्त करने की कार्रवाई कार्यपरिषद से हुई थी।


संकाय के जैव एवं प्रौद्योगिकी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ममत्ता शुक्ला को बर्खास्त कर दिया गया था। आरोप है कि डॉ. ममता ने पद के लिए अनर्ह होते हुए तथ्यों को छुपाया और आवेदन पत्र भी प्रस्तुत किया। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के मानकों में नियुक्ति के लिए तय अर्हता एमटेक थी, लेकिन आवेदक के पास एमएससी की डिग्री थी। ऐसे में उन्होंने भ्रामकता का

सहारा लेकर नौकरी हासिल की, जिसके बाद उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई। आरोप पत्र मिलने के बाद शिक्षिका ने अपना पक्ष रखते हुए यह कहा था कि नियुक्ति के समय समस्त प्रपत्र संबंधित कमेटी के सामने प्रस्तुत किए गए थे। इसके बाद ही उनकी नियुक्ति हुई। ऐसे में उसने



कोई भी तथ्य छिपाया नहीं है। अपने खिलाफ हुई कार्रवाई को शिक्षिका ने राजभवन में चुनौती दी थी, जिस पर कई महीने सुनवाई होने के बाद राज्यपाल सचिवालय ने विवि की कार्यपरिषद के आदेश को निरस्त कर दिया है

जांच पूरी, रिपोर्ट का इंतजार

कार्यपरिषद के 10 मार्च को किए निर्णय में इंजीनियरिंग संकाय के शिक्षक डॉ. मानवेंद्र सिंह को पद के सापेक्ष निर्धारित योग्यता न होने पर सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की गई थी। उन्होंने ने भी आदेश को राज्यपाल के सामने चुनौती दी थी, जिसपर भी ठीक ऐसा ही आदेश हुआ था, जिसका अनुपालन कर विवि ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति की जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट का इंतजार है।

शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई के मामले में कुलाधिपति के निर्देश प्राप्त हुए हैं। इसे कार्यपरिषद में रखकर समिति का गठन किया जाएगा। महेश कुमार, कुलसचिव भाषा विवि