सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अतिरिक्त (सरप्लस) शिक्षकों की सूची मंगाकर शिक्षा विभाग के अफसर भूल गए। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव की ओर से 10 जनवरी 2024 को जारी शासनादेश में सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी।
शासनादेश के अनुसार छात्रसंख्या के अनुपात में गणना की गई तो 21 एडेड स्कूलों में सरप्लस शिक्षक मिले थे। इसकी रिपोर्ट निदेशक को भेजी गई लेकिन समायोजन तो दूर जून अंत में हुए तबादले में इन्हीं स्कूलों में और शिक्षक भेज दिए गए।
उदाहरण के तौर पर फरवरी 2024 की रिपोर्ट में केपी जायसवाल इंटर कॉलेज में 13 शिक्षक अतिरिक्त थे और इसके बावजूद जुलाई 2024 में यहां चार शिक्षक और भेज दिए गए थे। इलाहाबाद इंटर कॉलेज में 12 शिक्षक पहले ही आवश्यकता से अधिक थे लेकिन जुलाई में एलटी ग्रेड के छह शिक्षक और भेज दिए गए। ईश्वर शरण इंटर कॉलेज में पांच शिक्षक अधिक होने के बावजूद चार और शिक्षकों का तबादला कर दिया गया। राजकीय इंटर कॉलेज में 19 शिक्षक सरप्लस होने के बावजूद लगातार शिक्षकों को संबद्ध किया जा रहा है।
परिषदीय शिक्षकों का भी नहीं हुआ समायोजन
माध्यमिक स्कूलों में ही नहीं परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में भी शिक्षकों का समायोजन नहीं हो पा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से 26 जून 2024 को जारी समायोजन नीति में कनिष्ठ शिक्षकों को दूसरे स्कूल में भेजने की बात कही गई थी। इसे मनमाना करार देते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने छह नवंबर 2024 को नीति ही निरस्त कर दी थी। याचिकाकर्ता राहुल पांडेय के अनुसार अफसरों की मनमानी के कारण आठ साल से परिषदीय स्कूलों में समायोजन नहीं हो सका है। जिले का कैडर होने के बावजूद बाहर के शिक्षक तो शहरी सीमा के आसपास स्कूलों में भरे जा रहे हैं लेकिन जिले में ही नियुक्ति पाने वाले शिक्षक परेशान हैं।