विधानसभा में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने मंगलवार को कहा कि परिषदीय स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात मानकों के मुताबिक है। आवश्यकता पर ही नए शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। फिलहाल नई नियुक्तियां करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार कोई भी स्कूल नहीं बंद करने जा रही है, बल्कि नए अत्याधुनिक स्कूलों का निर्माण कराएगी। वर्ष 2017 से पहले बेसिक स्कूलों की हालत बदतर थी, पर अब काफी सुधार हुआ है। सपा के अनिल प्रधान और संदीप सिंह के प्राथमिक स्कूलों के लिए शिक्षकों की भर्ती से संबंधित सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। राज्य सरकार जल्द इसका निस्तारण कराना चाहती है। वहीं प्रदेश के 7.85 बच्चों के स्कूल नहीं जाने के सवाल पर उन्होंने जांच कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने सदन को बताया कि साढ़े सात साल में प्रदेश में 1,26,371 शिक्षकों की भर्ती की गई है।
परिषदीय विद्यालयों में निशुल्क पुस्तक वितरण की पूरे प्रदेश में होगी जांच
परिषदीय विद्यालयों में निशुल्क वितरित की जाने वाली किताबों से जुड़ी व्यवस्था की पूरे प्रदेश में जांच कराई जाएगी। विधान परिषद के सभापति ने सिद्धार्थनगर के बांसी में इन किताबों को कबाड़ में बेचने का मामला संज्ञान में आने के बाद यह निर्देश दिया है।
एमएलसी ध्रुव त्रिपाठी ने यह मामला उठाते हुए बताया कि निशुल्क वितरण के लिए भेजी गई किताबें बांसी में 8000 रुपये में बेचीं गईं। इस मामले में कुछ कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन उच्च अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कहा, बीआरसी तक तो किताबें पहुंच जाती हैं, लेकिन स्कूलों में बच्चों को सभी किताबें नहीं मिलती हैं। ऐसे में पूरे प्रदेश में वितरण व्यवस्था की एसआईटी से जांच कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
इस पर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की गई है। बच्चों को समय से सभी किताबें मिलें, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। सत्र शुरू होने से पहले शत-प्रतिशत किताबें पहुंच रही हैं। आगे ऐसी घटना न हो और हर बच्चे तक सभी किताबें पहुंचे, यह सुनिश्चित किया जाएगा। इस जवाब से एमएलसी संतुष्ट नहीं हुए और वे मामले की जांच कराने की मांग की। इस पर सभापति ने निर्देश दिया कि पूरे प्रदेश में किताबें बांटी गई या नहीं, इसकी पुष्टि कराएं। जुलाई की जगह किताबें सितंबर-अक्तूबर तक न बंटे, यह सुनिश्चित करें। ऐसी व्यवस्था बनाएं कि अप्रैल में ही विभाग को पता चल जाए कि कितनी किताबें बंटी। उन्होंने कहा कि अगले सत्र से पहले इसकी जांच कराएं जिससे सदन के सभी सदस्य संतुष्ट हों।