हमारे शिक्षक साथियों ने सूचना दी है कुछ जनपदों में ARP द्वारा निपुण घोषित करवाने हेतु धन की मांग की जा रही है जो बेहद अनुचित है । इस ARP पद को ही कायदे से समाप्त किया जाना चाहिए या ऐसा संसोधन होना चाहिए कि ऐसा करने पर अंकुश लग सके. अब इस पद पर बैठे कुछ लोग मदान्ध और धनलोलुप हो चुके हैं उनके चक्कर मे ईमानदारी से कार्य कर रहे ARP और SRG भी बदनाम हो रहे हैं ।।
शिक्षा क्षेत्र में ARP पद की भूमिका और उससे जुड़ी चुनौतियाँ
शिक्षा किसी भी समाज और राष्ट्र के विकास का आधार होती है। शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली में कार्यरत अधिकारियों पर यह जिम्मेदारी होती है कि वे न केवल छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करें, बल्कि इसे सुचारु रूप से संचालित करने के लिए एक पारदर्शी और नैतिक कार्य प्रणाली का पालन करें। लेकिन हाल ही में यह देखने को मिला है कि कुछ स्थानों पर एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (ARP) पद पर आसीन लोग अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। कुछ जनपदों से यह शिकायत आई है कि ARP द्वारा निपुण घोषित करवाने के लिए धन की मांग की जा रही है। यह न केवल अनुचित है, बल्कि शिक्षा प्रणाली की साख को भी ठेस पहुँचाता है।
ARP पद का महत्व
ARP यानी एकेडमिक रिसोर्स पर्सन का पद शिक्षा व्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है। इनका काम है:
1. शिक्षकों को मार्गदर्शन देना: ARP शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों और तकनीकों की जानकारी देते हैं।
2. प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना: निपुण भारत जैसे अभियानों के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।
3. मूल्यांकन और मॉनिटरिंग: शिक्षा प्रणाली की प्रगति पर नज़र रखना और इसे सुधारने के लिए सुझाव देना।
यह पद शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और नीति निर्माण में सहायक हो सकता है, लेकिन जब इस पद का दुरुपयोग किया जाता है, तो यह न केवल प्रणाली को कमजोर करता है, बल्कि शिक्षकों और छात्रों को भी प्रभावित करता है।
ARP द्वारा धन की मांग: समस्या की जड़
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और नैतिकता की कमी एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। जिन ARP पर शिक्षकों को सहायता और मार्गदर्शन देने का दायित्व है, वे यदि अपने पद का दुरुपयोग करते हुए धन की मांग करने लगें, तो यह पूरे तंत्र को भ्रष्ट बनाता है। इसके पीछे निम्न कारण हो सकते हैं:
1. अधिकारों का गलत उपयोग: कुछ ARP अपने अधिकारों का उपयोग दबाव बनाने और धन संग्रह के लिए कर रहे हैं।
2. पारदर्शिता की कमी: इन मामलों में निगरानी और पारदर्शिता की कमी समस्या को बढ़ाती है।
3. सख्त नियमों की अनुपस्थिति: ARP पद पर गलत व्यवहार को रोकने के लिए स्पष्ट नियमों और दंड का अभाव है।
ईमानदार ARP और SRG की बदनामी
ऐसे मामलों का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि ईमानदारी से कार्य कर रहे ARP और SRG (स्टेट रिसोर्स ग्रुप) भी बदनाम हो जाते हैं। कुछ व्यक्तियों के गलत आचरण के कारण पूरे पद की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगते हैं। यह न केवल उन पर मानसिक दबाव बनाता है, बल्कि शिक्षा के सुधारात्मक कार्यों में भी बाधा उत्पन्न करता है।
क्या ARP पद को समाप्त करना चाहिए?
कई लोग यह सुझाव दे रहे हैं कि ARP पद को ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए। लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। ARP जैसे पद का होना जरूरी है, क्योंकि यह शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए एक अहम कड़ी है। हालांकि, इस पद से जुड़े नियमों और प्रक्रियाओं में निम्नलिखित बदलाव किए जाने चाहिए:
1. सख्त निगरानी व्यवस्था: ARP पद पर आसीन व्यक्तियों के कार्यों की नियमित निगरानी होनी चाहिए।
2. पारदर्शिता बढ़ाई जाए: शिक्षकों और अधिकारियों के बीच सभी प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाया जाए।
3. शिकायत तंत्र को मजबूत किया जाए: धन की मांग या किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधि के मामलों की शिकायत के लिए एक स्वतंत्र और प्रभावी तंत्र हो।
4. दंडात्मक कार्रवाई: गलत व्यवहार करने वाले ARP पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि बाकी लोग ऐसा करने से डरें।
5. ARP चयन प्रक्रिया में सुधार: ARP पद पर आसीन होने वाले व्यक्तियों के चयन के लिए योग्यता और नैतिकता को प्राथमिकता दी जाए।
समाधान के संभावित उपाय
1. ARP पद की समीक्षा: इस पद की कार्य प्रणाली और जिम्मेदारियों की विस्तृत समीक्षा होनी चाहिए।
2. जागरूकता अभियान: शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को उनके अधिकारों और शिकायत करने की प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक किया जाए।
3. टेक्नोलॉजी का उपयोग: ARP और शिक्षकों के बीच संवाद और प्रशिक्षण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाए, जिससे किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि पर अंकुश लगाया जा सके।
ARP जैसे पद का मुख्य उद्देश्य शिक्षा में सुधार और शिक्षकों की सहायता करना है। लेकिन जब यह पद भ्रष्टाचार और धनलोलुपता का शिकार हो जाता है, तो यह न केवल शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उन शिक्षकों और अधिकारियों की ईमानदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है, जो अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन कर रहे हैं। इसलिए, आवश्यकता है कि इस पद से जुड़े नियमों को सख्त किया जाए और इसे पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए। शिक्षकों, छात्रों और पूरे समाज की भलाई के लिए यह कदम अनिवार्य है।