प्रयागराज। मध्यम वर्गीय परिवार की महिला के लिए 2500 रुपये की मामूली राशि से भरपेट भोजन कर पाना संभव नहीं है। यह टिप्पणी कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 से उसे अंतरिम भरण-पोषण 10 हजार रुपये देने का निर्देश दिया। वहीं, आवेदन दाखिल करने की तिथि एक सितंबर 2014 से नवंबर 2024 तक अंतरिम भरण- पोषण राशि 2500 रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से देने को कहा है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने चंदौली निवासी शिल्पी शर्मा की पुनरीक्षण अर्जी पर दिया। शिल्पी शर्मा की शादी गाजियाबाद निवासी राहुल शर्मा से हुई थी। विवाद के बाद शिल्पी ने 2014 को पारिवारिक न्यायालय में भरण-पोषण
भत्ते के लिए अर्जी दाखिल की। सात सितंबर 2016 को पारिवारिक कोर्ट के 25 सौ अंतरिम भरण-पोषण के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
याची के वकील ने दलील दी कि पति की आय चार लाख रुपये प्रति माह से अधिक है। पति की आय घोषित आय से कहीं ज्यादा है। ऐसे में उसे अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए कम से कम 50 हजार रुपये महीने की जरूरत है। वहीं, पति के वकील ने इसका विरोध किया। दलील दी कि पति ने 2016 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है।