लखनऊ। प्रदेश में मलेरिया और फाइलेरिया विभाग में शासनादेश के विपरीत नॉन फंक्शनल ग्रेड पे का भुगतान हो रहा है। ज्यादातर मलेरिया निरीक्षक को 2400 के बजाय सीधे 2800 का ग्रेड पे दिया जा रहा है। कई लोगों को तो 2400 से सीधे 4200 का ग्रेड पे दे दिया गया। जबकि, मलेरिया निरीक्षक का ग्रेड पे 2000 है। 10 वर्ष बाद यह 2400 और 16 वर्ष बाद 2800 और 26 वर्ष बाद 4200 होने का नियम है। यह खेल कई सालों से चल रहा है। अन्य विभागों में भी ऐसा खेल चलने की आशंका है।
मलेरिया एवं वेक्टर बॉर्न डिजीज अपर निदेशक कार्यालय के अधीन करीब 550 से अधिक कार्मिक कार्यरत हैं। यहां कई लोगों को नियम के विपरीत ग्रेड पे के भुगतान से विभागीय अफसर भी वाकिफ हैं। ऐसे में मलेरिया निरीक्षक और फाइलेरिया निरीक्षकों को आए दिन ग्रेड पे कटवाने की धमकी दी जाती है। जिन पर अफसरों की कृपा बनी रहती है, उन्हें सालों से ग्रेड पे मिल रहा है। इसे लेकर मलेरिया और फाइलेरिया यूनिट के निरीक्षकों और अफसरों के बीच तनातनी भी रहती है। >> जांच हुई तो फंसेंगे कई अफसर : पेज 2
एक माह में करीब 10 लाख तक का अतिरिक्त भुगतान :
विभागीय जानकारी बताते हैं कि यदि 2400 ग्रेड पे के बजाय 2800 ग्रेड पे दिया जाता है तो मूल वेतन में हर माह करीब एक हजार रुपये का अंतर आता है। मलेरिया विभाग में निरीक्षक व वरिष्ठ निरीक्षक के कुल 288 पद हैं, जबकि 123 सहायक मलेरिया अधिकारी हैं। इसी तरफ फाइलेरिया निरीक्षक 87 और बायोलॉजिस्ट 21 हैं। यह कुल संख्या 519 हुई। अलग- अलग जिलों में जहां आपसी लड़ाई हुई, वहां ग्रेड पे दुरुस्त कराया गया। यह संख्या करीब 10 फीसदी है। ऐसे में करीब 450 से अधिक निरीक्षक गलत तरीके से वेतनमान ले रहे हैं। ऐसे में हर माह करीब चार लाख 50 हजार से अधिक रुपये का अतिरिक्त भुगतान हो रहा है। यदि मलेरिया निरीक्षक से सहायक मलेरिया अधिकारी तक के ग्रेड पे की बात की जाए तो हर माह करीब आठ से 10 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान हो रहा है।
मैंने अभी कुछ दिन पहले ही कार्यभार ग्रहण किया है। जानकारी नहीं है। मामला दिखवाएंगे। ग्रेड पे शासनादेश के तहत ही दिया जाना चाहिए। जांच होगी, जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
डॉ. रतनपाल सुमन, महानिदेशक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा