पीसीएस-जे 2022 के चयन परिणाम में गड़बड़ी का विवाद अभी सुलझा भी नहीं था कि पीसीएस-जे 2018 में आयोग के स्तर से हुई गलती के कारण हाईकोर्ट ने एक रिक्त पद पर नियुक्ति का आदेश दे दिया। पीसीएस-जे 2018 का अंतिम परिणाम 20 जुलाई 2019 को घोषित होने के पांच साल बाद पीड़ित अभ्यर्थी जाह्नवी के पक्ष में हाईकोर्ट का आदेश आने से आयोग की कार्यशैली फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। इस परीक्षा का परिणाम घोषित होने से पूर्व अभ्यर्थियों ने गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए साक्षात्कार समाप्त होने के तीसरे दिन अंतिम परिणाम जारी कर दिया गया था।
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अभ्यर्थियों ने पीसीएस जे 2018 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में अभ्यर्थियों के एक क्रम से पास होने के आरोप लगाए थे। शासन में इसकी शिकायत की गई थी। अभ्यर्थियों ने बताया था कि वहां गड़बड़ी के आरोपों की जांच कराने का आश्वासन देते हुए इस बारे में आयोग के अध्यक्ष से बात करने और उन्हें अध्यक्ष से मुलाकात करने का सुझाव दिया गया था। जिसके बाद अभ्यर्थियों ने 15 जुलाई 2019 को अध्यक्ष से मुलाकात कर उन्हें गड़बड़ी से संबंधित साक्ष्य सौंपे थे। अभ्यर्थियों ने प्री और मेंस में एक क्रम से पास हुए अभ्यर्थियों का रोल नंबर साक्ष्य के तौर पर दिया था, जिस पर जांच कराने और जांच के बाद परिणाम घोषित करने का आश्वासन दिया गया था। परिणाम घोषित होने के बाद अभ्यर्थियों ने आरोप लगाए थे कि जांच किए बगैर ही परिणाम घोषित कर दिया गया।
आरटीआई से बड़ी गड़बड़ी का हुआ खुलासा
प्रयागराज। आयोग की गड़बड़ियों के खिलाफ आरटीआई अभ्यर्थियों का मजबूत हथियार बन गया है। पीसीएस-जे 2022 में भी आरटीआई के आधार पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने आरटीआई से जानकारी मांगी तो पता चला कि अंग्रेज़ी की उत्तरपुस्तिका में उसकी हैंडराइटिंग नहीं है। जिस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की बाद में जांच में 50 कॉपियों की अदला-बदली की पुष्टि हुई थी। इस कारण आयोग को इस परीक्षा का परिणाम संशोधित कर दो चयनित अभ्यर्थियों को बाहर कर उनके स्थान पर दो अन्य अभ्यर्थियों को चयनित करना पड़ा था। पीसीएस-जे 2018 में भी पीड़ित अभ्यर्थी जाह्नवी ने आरटीआई के तहत सूचना मांगी और कॉपी देखने पर पता चला कि उसे दो अंक कम दिए गए थे। उसके बाद हाईकोर्ट में याचिका की और पांच साल बाद ही सही आखिरकार जाह्नवी को जीत हासिल हुई। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि पीसीएस जे परीक्षा पर हाईकोर्ट की नजर रहती है, जब इस परीक्षा में इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है तो बाकी परीक्षाओं का क्या हाल होगा।