लखनऊ। चिनहट ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी ने रिटायर होने वाले दिन ही बड़ा खेल कर दिया। 30 सितंबर को उन्हें रिटायर होना था और इसी दिन उन्होंने 34 विकास कार्यों की मंजूरी दे दी। कुल 1.65 करोड़ के अप्रत्याशित काम जाते-जाते स्वीकृत कर दिया। यही नहीं उन्होंने इसकी प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति भी दे दी। जबकि इसके मद में बजट ही नहीं था। जिन पक्के कार्यों की स्वीकृति दी गई वह शासनादेश के मजदूरी और निर्माण के 60 अनुपात 40 40 से भी विपरीत है। शुरुआती जांच में भारी अनियमितता मिलने के बाद मुख्य विकास अधिकारी अजय जैन ने सभी कामों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। जिन एजेन्सियों व ठेकेदारों को काम करना था उनसे भी काम बंद करा दिया गया है।
खंड विकास अधिकारी नरेंद्र बाबू चिनहट ब्लॉक में तैनात थे। वह 30 सितंबर 2024 को रिटायर हुए। लेकिन रिटायर होने से 5 दिन पहले 25 से 30 सितंबर के बीच उन्होंने 34 पक्के कामों को मंजूरी दे दी। इन पांच दिनों में उन्होंने कुल 1.65 करोड़ के अप्रत्याशित कामों को मंजूरी दी। इन्होंने 60 लेबर और 40 पक्के निर्माण के नियमों का भी पालन नहीं किया। 30 सितंबर को जिस दिन वह रिटायर हो रहे थे उसी दिन इन कामों की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति भी दे दी। 19 अक्तूबर 2024 को जानकारी के बाद जांच कराई गई तो चिनहट में श्रमांश पर मात्र 33.29 लाख ही व्यय मिला। पाइपलाइन में 1.02 लाख की फीडिंग अवशेष मिली। उक्त श्रमांश के सापेक्ष सामग्री अंश पर मात्र 22.58 नियमानुसार सृजित हुआ। इसके सापेक्ष विकासखंड में सामग्री क्रय में 23.58 लाख का भुगतान तथा पाइप लाइन में 5.4 लाख अवशेष मिला। इसके अनुसार सामग्री क्रय के अंश में नियमानुसार कोई धनराशि अवशेष ही नहीं थी। यानी इसके लिए कोई बजट ही नहीं था। इसके बावजूद तत्कालीन खण्ड विकास अधिकारी ने 1.65 करोड़ के पक्के कार्यों की स्वीकृति दे दी। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रथम दृष्टया मनरेगा एक्ट गाइडलाइन और शासनादेश के सर्वथा विरुद्ध है।
34 विकास कार्यों की फाइलें रोकी गईं
मामले की खुलासे के बाद मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर चिनहट ब्लॉक के इन 34 विकास कार्यों की फाइल तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है। सभी ठेकेदारों व कार्यदायी संस्थाओं को सूचित कर दिया गया है कि वह रिटायर खंड विकास अधिकारी की ओर से स्वीकृत किए गए कामों को न करें। मास्टर रोल जारी करने तथा सामग्री क्रय करने पर भी रोक लगा दी गई है।
जांच के लिए कमेटी बनी
मुख्य विकास अधिकारी अजय जैन ने बताया कि इसकी जांच के लिए दो अधिकारियों जिला विकास अधिकारी अजय कुमार सिंह तथा जिला ग्राम विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक विकास जी की कमेटी बना दी गयी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद मामले में कठोर कार्रवाई होगी।
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