नई दिल्ली। स्नातक के छात्र अब खुद तय कर सकेंगे कि वे कितने समय में डिग्री हासिल करेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अगले सत्र से सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में बौद्धिक क्षमता के आधार पर मेधावी और कमजोर छात्रों को डिग्री पूरा करने के लिए अलग- अलग विकल्प मुहैया कराने का फैसला किया है।
नई व्यवस्था में पहले व दूसरे सेमेस्टर के आधार पर छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन होगा और उसके बाद उन्हें विकल्प मिलेगा। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम जगदीश कुमार ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्नातक पाठ्यक्रम में नए नियम लागू होंगे। उसके लिए जल्द ही एसओपी राज्यों और उच्च शिक्षण संस्थानों को उनके सुझावों के लिए भेजी जाएगी। खास बात यह है कि विश्वविद्यालय या कॉलेजों में मधावी छात्रों के लिए हर कोर्स में 10 फीसदी सीटें आरक्षित रहेंगी।
मेधावी छात्रों के लिए एडीपी
मेधावी छात्रों के लिए त्वरित डिग्री कार्यक्रम (एडीपी) का विकल्प रहेगा। ऐसे छात्रों के लिए 10 फीसदी सीट आरक्षित रखी जाएगी। इसमें वही पाठ्यक्रम और क्रेडिट स्कोर रहेंगे, जो सामान्य डिग्री प्रोग्राम में रहते हैं। इसमें बदलाव सिर्फ डिग्री पूरी करने की समय-सीमा में रहेगा।
कमजोर छात्रों के लिए ईडीपी
कमजोर या धीमी गति से सीखने वाले छात्रों के लिए विस्तारित डिग्री
कार्यक्रम (ईडीपी) का विकल्प रहेगा। ऐसे छात्र पहले सेमेस्टर या फिर दूसरा सेमेस्टर खत्म् होने पर इस विकल्प का चयन कर सकते हैं। इसके बाद अनुमति नहीं मिलेगी।
परीक्षा और मूल्यांकन सामान्य कोर्स
की तरह होगा।