लखनऊ, । राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की तरह आउटसोर्सिंग कर्मियों के हितों में बड़ा फैसला किया है। आउटसोर्सिंग पर रखे जाने वाले कर्मियों को अब मनमाने तरीके से एजेंसियां नहीं निकल पाएंगी। उन्हें निकालने से पहले संबंधित विभागों से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही हर माह की तय तारीख पर उन्हें मानदेय देना होगा। जेम पोर्टल से खरीदारी के साथ ही नीलामी भी अनिवार्य कर दी गई है। इसके आदेश के बाद विभाग अब स्क्रैप मनमाने तरीके से नहीं बेंच पाएंगे।
अनियमितता रोकने के लिए आउटसोर्सिंग कर्मियों को सेवायोजन पोर्टल के माध्यम से ही रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
इस अनिवार्यता से वतर्ममान में काम कर रहे कर्मियों की नहीं निकाला जाएगा। उन्हें भी जेम पोर्टल के माध्यम से ही रखा जाएगा। इसके लिए कार्यरत कर्मियों की सेवा के संबंध में संस्तुष्ट होने का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना होगा। केवल नए कर्मियों का चयन ही पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। ऐसे कर्मियों को समय से मानदेय देने के लिए एजेंसियों पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है।
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पोर्टल से वरिष्ठता के आधार पर होगा चयन
अभ्यर्थियों की तैनाती के लिए सेवायोजन विभाग द्वारा तैयार किए गए पोर्टल से वरिष्ठता के आधार पर चयन किया जाएगा। विभागों द्वारा कर्मियों की मांग के अनुसार एक कर्मी के लिए पांच आवेदनकर्ता और दो या उससे अधिक होने पर तीन गुना लिस्ट तैयार की जाएगी। आउटसोर्सिंग कर्मियों की उपस्थिति उसी माह के अगले कार्यदिवस को ई-मेल से विभागों को देना होगा और मानदेय इसके चार से छह दिनों के अंदर दिया जाएगा। जीपीएफ का पैसा हर माह की 14 तारीख को अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। एजेंसियों द्वारा कर्मियों का एक माह तक जीपीएफ में पैसा जमा नहीं किया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कंपनियों को ईपीएफ, ईएसआई और जीएसटी का पैसा समय से अनिवार्य रूप से जमा करना होगा।