छात्रों की मांग पर बदले नियम, मंशा पर न करें संशय, नॉर्मलाइजेशन के संबंध में सुझावों का स्वागत



प्रयागराज,। पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) को लेकर आंदोलित छात्रों से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने विरोध खत्म करने की अपील की है। आयोग के सचिव अशोक कुमार का कहना है कि छात्रों की मांग पर ही शासन ने परीक्षा संबंधी नियमावली में बदलाव किया है।



आरओ/एआरओ 2023 में पेपरलीक के बाद छात्रों ने आयोग के सामने प्रदर्शन कर मांग रखी थी कि निजी स्कूल-कॉलेजों को केंद्र न बनाया जाए और परीक्षा केंद्रों की दूरी अधिक न हो। उनकी मांगों पर ही राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र बनाया जा रहा है और दूरी दस किमी रखी गई है। रही बात मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) की तो यह सामान्य प्रक्रिया है और अधिकांश परीक्षाओं में इसे किया जा रहा है। आयोग ने भी विशेषज्ञों से फॉर्मूले पर राय ली है। कंप्यूटर से होने वाले मानकीकरण में किसी तरह के हेरफेर की कोई गुंजाइश नहीं है।


आयोग का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के बीते सात नवम्बर के आदेश के अनुसार यदि विज्ञापन, भर्ती एवं चयन संबंधी किसी बिन्दु पर मौन है तो उससे संबंधित सक्षम प्राधिकारी चयन के लिए अभ्यर्थियों की शार्टलिस्टिंग के उद्देश्य से यथा आवश्यक प्रशासनिक एवं व्यवस्थागत प्रक्रिया निर्धारित व लागू कर सकते हैं। आयोग भी उसी क्रम में प्रक्रिया अपना रहा है।


परीक्षाओं के संबंध में अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र भेजकर बताया है कि कुछ टेलीग्राम चैनल एवं यू-ट्यूबर्स परीक्षा को टलवाने की साजिश कर रहे हैं। ये चैनल परीक्षा के मानकीकरण को लेकर भ्रम फैला रहे हैं और अभ्यर्थियों को गुमराह कर रहे हैं। अनेक अभ्यर्थी जिनके लिए यह परीक्षा और समय दोनों ही बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, आयोग के इस निर्णय का समर्थन करते हैं। सरकार एवं आयोग मंशा छात्र हितों को संरक्षित करना एवं मेरिट के आधार पर चयन सुनिश्चित करना है। चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी एवं छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है। इस संबंध में अभ्यर्थियों को सभी आवश्यक जानकारी भी दी जा रही है।


नॉर्मलाइजेशन के संबंध में सुझावों का स्वागत


आयोग ने साफ किया है कि मानकीकरण के संदर्भ में आयोग अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत करता है और जिसको भी उसके संदर्भ में कोई सुधार-सुझाव और बेहतर व्यवस्था हो, वह अभ्यर्थी दे सकते हैं। सभी सुझावों को प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की समिति के समक्ष रखा जाएगी और जो शुचिता गुणधर्मिता, अभ्यर्थियों के हित में आवश्यक होगा, उसका पालन किया जाएगा।