ठंड बढ़ने के साथ परिषदीय स्कूलों के बच्चों को स्वेटर और जूते के लिए धनराशि का इंतजार

 

मुरादाबाद। धीरे-धीरे ठंड बढ़ने लगी है, लेकिन परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे बिना जूते और स्वेटर के स्कूल आने को विवश हैं। जिले के करीब 26,000 छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में शासन द्वारा मिलने वाली 12-12 सौ रुपये की धनराशि नहीं पहुंची है। बीएसए का कहना है कि शासन की ओर से लगातार धनराशि भेजी जा रही है। जिन बच्चों के अभिभावकों के खातों में रुपये आ गए हैं, उन्हें स्वेटर खरीदने के लिए कहा जा रहा है।



जिले में 1408 परिषदीय स्कूलों में 1,58,000 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से 1,32,000 बच्चों के अभिभावकों के खाते में जूता-मोजा, स्वेटर, यूनिफॉर्म, बैग के लिए धनराशि भेजी जा चुकी है। करीब 26 हजार बच्चों के खातों में पैसा नहीं आया है। बुधवार को घना कोहरा था और ठंडी हवा भी चल रही थी। तापमान सामान्य से कम हो गया था। इसके बावजूद परिषदीय स्कूलों में ज्यादातर बच्चे बिना स्वेटर पहने ठिठुरते हुए आए थे।


अभिभावकों की भी लापरवाही

डीबीटी की धनराशि मिलने के लिए सबसे पहली शर्त है कि अभिभावकों का बैंक अकाउंट आधार नंबर से लिंक होना चाहिए। आधार लिंक करवाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की तय की गई है। उन्हें अभिभावकों को जागरूक करना है, ताकि शत-प्रतिशत धनराशि शासन से मिल सके। इसके बावजूद अभिभावक बैंक खाते को आधार से लिंक करवाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि अभी तक जनपद में लगभग पांच हजार ऐसे बच्चे हैं, जिनके अभिभावकों के बैंक खाते आधार से लिंक नहीं हैं।


39 हजार बच्चों के फोटो अपलोड नहीं

प्रधानाध्यापकों को डीबीटी का लाभ मिलने के बाद बच्चों की यूनिफॉर्म पहने हुए फोटो विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। अभी तक 1.32 लाख बच्चों को डीबीटी की धनराशि मिल गई है। इसमें से अभी भी करीब 39 हजार ऐसे विद्यार्थी हैं, जिनके फोटो पोर्टल पर अपलोड नहीं हुए हैं। ऐसे में अभी तक स्पष्ट नहीं है कि डीबीटी मिलने के बाद कितने विद्यार्थियों के अभिभावकों ने यूनिफॉर्म और स्वेटर नहीं खरीदे हैं।


शासन की ओर से अब तक सात चरणों में डीबीटी की धनराशि मिली है। आखिरी बार धनराशि 26 अक्तूबर को आई है। जैसे-जैसे रुपये मिल रहे हैं, शिक्षकों के माध्यम से अभिभावकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वह बच्चों के स्वेटर आदि खरीद लें।

विमलेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी