निशातगंज पेपर मिल कॉलोनी में एक किराए के मकान में कई महीने से फर्जी शिक्षा बोर्ड चल रहा था। महानगर पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर छापेमारी कर गिरोह के सदस्य राम प्रकाश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया। सरगना मनीष उर्फ मांगे फरार है। यह गिरोह अनपढ़ लोगों की नौकरी लगवाने के लिए कई बोर्डों और शैक्षिक संस्थानों की हू-ब-हू जाली मार्कशीट बनाकर बेचता था। इंटर की मार्कशीट के लिए 25 हजार और स्नातक के लिए 50 हजार वसूलते थे।
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मनीष को पहले भी फर्जी मार्कशीट बनाने और सेक्स रैकेट चलाने के मामले में अमीनाबाद और चिनहट थाने की पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। अमीनाबाद पुलिस ने गैंगेस्टर एक्ट की कार्रवाई कर उसकी करोड़ों की संपत्ति भी कुर्क की थी।
पुलिस उपायुक्त मध्य रवीना त्यागी के मुताबिक गिरफ्तार आरोपित राम प्रकाश वर्मा मूल रूप से बिहार के सिवाह हसनपुरा का रहने वाला है। यहां इंदिरानगर के आम्रपाली बाजार में रहता था। जाली मार्कशीट बनाने के लिए पेपर मिल कॉलोनी में एक मकान किराए पर ले रखा था। वहां गिरोह के सरगना के साथ मिलकर अवैध काम करता था। कई महीने से मुखबिर से मकान में गलत गतिविधियों की शिकायत मिल रही थी।
एसीपी महानगर नेहा त्रिपाठी के निर्देश पर इंस्पेक्टर महानगर अखिलेश मिश्र को लगाया गया था। टीम ने गुरुवार को छापेमारी की और मौके से राम प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया। उस समय सरगना मनीष उर्फ मांगे राम कहीं बाहर गया था। मौके से कई राज्यों के शिक्षण संस्थानों के जाली प्रमाणपत्र, अंकपत्र मिले हैं। एक लैपटॉप, एक पेपर कटिंग मशीन, दो मोबाइल और कंप्यूटर से संबंधित अन्य सामग्री बरामद हुई है। राम प्रकाश से पूछताछ में पता चला कि गिरोह अब तक हजारों लोगों को फर्जी मार्कशीट और प्रमाणपत्र बेच चुका है। गिरोह का नेटवर्क बिहार, मध्यप्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में फैला है।
पुलिस ने सरगना को कराया फोन, स्विच ऑफ कर फरार राम प्रकाश वर्मा के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने उससे फोन करवा कर मनीष को निशातगंज बुलवाया। हालांकि, वह मोबाइल बंद कर फरार हो गया। पुलिस अब सर्विलांस टीम की मदद से मनीष की लोकेशन का पता लगा रही है। इंस्पेक्टर ने बताया कि एक टीम मथुरा और दूसरी मनीष के अन्य ठिकानों पर दबिश के लिए भेजी जा रही है।
खुद को डॉक्टर बताता था गिरोह का सरगना मनीष खुद को डॉक्टर बताता था। इंस्पेक्टर ने बताया कि मनीष आयुर्वेद का क्लीनिक खोलने की तैयारी कर रहा था। इसके लिए कई प्रापर्टी डीलरों से भी संपर्क किया था।
इन शैक्षणिक संस्थानों की फर्जी मार्कशीट मिली
आरोपित के कमरे से राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के मुंशी परीक्षा उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, नेशनल नर्सिंग मिडवाइफरी काउंसिंलिंग शिक्षा प्रमाण पत्र, केंद्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान, उत्तर प्रदेश के शैक्षिक प्रमाण पत्र, महाकौशल आयुर्वेदिक बोर्ड, जबलपुर के शैक्षिक प्रमाण पत्र, राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान उत्तर प्रदेश के शैक्षिक प्रमाण पत्र, भारतीय वैदिक विद्या पीठ लखनऊ उत्तर प्रदेश मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा के फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं।
मूल रूप से मथुरा का रहने वाला है सरगना
इंस्पेक्टर के मुताबिक सरगना मनीष मूल रूप से मथुरा का रहने वाला है। यहां हुसैनगंज और हीवेट रोड पर उसके दो मकान थे। लंबे समय से लखनऊ में ही रह रहा था। सितंबर 2021 में चिनहट पुलिस ने जाली मार्कशीट के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद अमीनाबाद पुलिस ने 11 फरवरी 2022 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उस समय हीवेट रोड पर रहता था। मनीष ने पुलिस कंट्रोल रूम को गोली चलने की सूचना दी थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार द्विवेदी पहुंचे थे। तफ्तीश में मनीष का उसके बेटे से विवाद प्रकाश में आया था। पुलिस ने घर की तलाशी ली तो तमाम जाली शैक्षिक दस्तावेज मिले थे। इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तारी की थी। तफ्तीश में पता चला था कि गिरोह में एक युवती भी शामिल है। युवती के जरिए सेक्स रैकेट संचालित करने के भी साक्ष्य पुलिस को मिले थे। अमीनाबाद पुलिस ने हीवेट रोड स्थित मकान समेत करोड़ों कीमत की मनीष की कई संपत्तियां कुर्क की थीं।
● सरगना के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज, सेक्स रैकेट से भी जुड़े हैं तार
● कई राज्यों में फैला था फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का नेटवर्क