शिक्षक को देना होगा आइसीटी लैब व स्मार्ट क्लास में पढ़ाने का हिसाब


परिषदीय स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के उपयोग पर सख्ती


 परिषदीय
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयोग पर अब सख्ती की जाएगी। इन विद्यालयों में 2,09,863 टैबलेट शिक्षकों को दिए गए हैं। वहीं 18,381 स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाई जा चुकी हैं और 880 ब्लाक में इन्फार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी (आइसीटी) लैब हैं। फिर भी शिक्षक बेहतर ढंग से पढ़ाई कराने के लिए इनका प्रयोग नहीं कर रहे। ऐसे में अब शिक्षकों को इनके उपयोग का हिसाब- किताब देना होगा।

प्रदेश में 880 ब्लाक संसाधन केंद्रों (बीआरसी) पर आइसीटी लैब तैयार कर विद्यार्थियों को कंप्यूटर का ज्ञान देने की व्यवस्था की गई है। बीआरसी के आसपास के विद्यालयों के विद्यार्थियों को रोस्टर के अनुसार इस लैब में कंप्यूटर का ज्ञान हासिल करने के लिए भेजा जाएगा। सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि आइसीटी लैब के उपयोग के लिए रोस्टर तैयार किया जाए। खंड शिक्षा
अधिकारी तय रोस्टर के अनुसार विद्यार्थियों को इसमें भेजना सुनिश्चित करें। समय- समय पर तय किए गए रोस्टर के अनुसार विद्यार्थी वहां भेजे जा रहे हैं या नहीं, इसकी जांच की जाएगी।


स्मार्ट क्लास के माध्यम से विद्यार्थियों को रोचक ढंग से पढ़ाई कराने की व्यवस्था की गई है। जिन 18,381 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है, वहां विद्यार्थियों को इसमें कितनी कक्षाएं पढ़ाई गईं और जिन 2,09,863 शिक्षकों को टैबलेट दिए गए हैं, उनका किस प्रकार पढ़ाई में उपयोग किया जा रहा है, इसका हिसाब भी अब लिया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि तय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के माध्यम से इनका उपयोग सुनिश्चित किया जाए।