बंगलूरू। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि बेटियों का भरण-पोषण और उन्हें उत्कृष्ट शिक्षा दिलाना पिता की कानूनी बाध्यता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वे उसकी तलाकशुदा पत्नी के साथ रह रही हैं। इसके साथ, हाईकोर्ट ने नाबालिग समेत दो बेटियों के भरण-पोषण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस अशोक एस किनागी ने फैसले में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पिता की आय को देखते हुए शादी होने तक हर बेटी को हर माह छह हजार रुपये की रकम देने का जो फैसला सुनाया है, उसमें त्रुटि नहीं है।