भर्ती परीक्षाओं पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला छात्रों के संघर्ष को देगा बल

आयोग ने विज्ञापन जारी होने के बाद प्रारंभिक परीक्षा में मानकीकरण लागू किया

। सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) 2024 प्रारंभिक परीक्षा और समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) 2023 प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने का विरोध कर रहे प्रतियोगी छात्रों ने अब इस मसले पर कानूनी लड़ाई का निर्णय लिया है। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के गुरुवार को आए निर्णय ‘भर्ती के बीच में नियम परिवर्तन नहीं हो सकता’ ने छात्रों के विरोध को बल दिया है।


ये भी पढ़ें - शर्मनाक वारदात: दुष्कर्म से बचने सड़क पर अर्धनग्न दौड़ी शिक्षिका, बहाने से ले गया था परिचित…FIR दर्ज

ये भी पढ़ें - समायोजन विशेष: आदेश का सारांश

ये भी पढ़ें - समयोजन का बहुप्रतीक्षित आदेश हुआ अपलोड, हिंदी में डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें

भर्ती परीक्षाओं में शुचिता बनाए रखने के लिए 19 जून को जारी शासनादेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 30 सितंबर 2024 को आरओ/एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए सामान्य अध्ययन और सामान्य हिन्दी (सामान्य शब्द ज्ञान एवं व्याकरण) का अलग-अलग पेपर कराने की बजाय तीन घंटे का एक प्रश्नपत्र कराने का फैसला लिया था। वहीं पीसीएस और आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षाएं एक से अधिक दिन में कराने के कारण नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) भी लागू करने का निर्णय पांच नवंबर 2024 को लिया है।


इसके लिए आयोग ने बकायदा मानकीकरण का फॉर्मूला भी जारी किया है जबकि आरओ/एआरओ के लिए विज्ञापन नौ अक्तूबर 2023 और पीसीएस का विज्ञापन एक जनवरी 2024 को जारी हुआ था। साफ है कि दोनों भर्तियों की प्रारंभिक परीक्षाओं में अहम बदलाव विज्ञापन जारी होने के महीनों बाद हुए हैं। इस बीच आयोग के एक से अधिक दिन में प्रारंभिक परीक्षा कराने का प्रतियोगी छात्र विरोध कर रहे हैं। छात्रों का तर्क है कि मानकीकरण से गड़बड़ी और भेदभाव की आशंका बढ़ जाएगी।


हालांकि छात्रों के विरोध की अनदेखी करते हुए आयोग ने यह कहते हुए एक से अधिक दिन में परीक्षा कराने का निर्णय लिया है कि शासनादेश के अनुसार परीक्षा केंद्र नहीं मिल रहे हैं। इस मसले पर आयोग का रुख नरम नहीं होता दिख रहा। ऐसे में प्रतियोगी छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट में याचिका करने का निर्णय लिया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में आयोग का निर्णय पूरी तरह से असंवैधानिक है। आयोग छात्रों की मांग के अनुरूप जल्द कोई निर्णय नहीं लेता तो हम न्यायालय की शरण में जाने के लिए बाध्य होंगे।


हाईकोर्ट बार ने भी किया समर्थन


प्रयागराज। पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा एक से अधिक दिन में कराने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के निर्णय का विरोध कर रहे प्रतियोगी छात्रों का हाईकोर्ट बार ने भी समर्थन किया है। एसोसिएशन के महासचिव विक्रांत पांडेय ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आशुतोष पांडेय को भेजे पत्र में लिखा है कि पीसीएस प्रारम्भिक परीक्षा 2024 व अन्य परीक्षाओं में दो दिवसीय-परीक्षा कराने,नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) प्रक्रिया अपनाए जाने के प्रस्ताव के विरुद्ध प्रतियोगी छात्र संघर्ष कर रहे हैं। आयोग अपनी त्रुटियों को दूर करने की बजाय प्रक्रिया में बदलाव कर रहा है जिससे प्रतियोगी छात्रों पर व्यर्थ का दबाव पड़ रहा है। यह निन्दनीय है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सभी प्रतियोगी छात्रों का अपना समर्थन प्रदान करता है।