आगरा। शिक्षा विभाग में हक के लिए आवाज उठाने वालों को खामियाजा वेतन कटौती के रूप में उठाना पड़ेगा। हाल में लखनऊ प्रदर्शन में शामिल होने गए शिक्षामित्रों का वेतन काट दिया गया। इसको लेकर शिक्षामित्रों में आक्रोश है।
जो शिक्षामित्र विद्यालय में अपनी उनपस्थित ऑनलाइन दर्ज करने के बाद लखनऊ रवाना हुए उनका भी वेतन काटा गया। इससे साफ है कि कहीं न कहीं सरकार और अधिकारियों की मंशा शिक्षामित्र के खिलाफ है। शिक्षामित्र संगठन के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छोकर ने एलान किया है कि शिक्षामित्रों का उत्पीड़न सहन नहीं किया जाएगा। अधिकारियों की ईंट से ईंट बजा देंगे। विकासखंड बरौली अहीर में कार्यरत खंड शिक्षाधिकारी महेश चंद की कार्य प्रणाली से शिक्षामित्रों में रोष व्याप्त है। उच्च प्राथमिक विद्यालय नूरपुर (कम्पोजिट) में कार्यरत शिक्षामित्र वंदना का एक दिन का मानदेय काट दिया गया है। जबकि अक्टूबर माह में उन्होंने पूरे महीने विद्यालय में शिक्षण
कार्य किया। केवल एक दिन का
ऑनलाइन आकस्मिक अवकाश लिया था, जिसे प्रधानाध्यापक द्वारा स्वीकृत किया किया गया। वायकायदा उपस्थिति पंजिका व पत्र व्यवहार रजिस्टर में चढ़ा हुआ है। वहीं प्राथमिक विद्यालय तोरा की शिक्षामित्र रेखा रानी शर्मा ने एक दिन पहले ऑनलाइन एप्लाई किया था। इसके बावजूद एक दिन का मानदेय काट दिया गया। इसी तरह से और भी कई शिक्षामित्रों का एक दिन का मानदेय काटा गया। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर ने खंडशिक्षा अधिकारी महेश चंद की कार्य प्रणाली पर आक्रोश जताते हुए कहाकि बीईओ मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं।
बगैर किसी जानकारी के मानदेय काटने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। शिक्षामित्र पहले से मानसिक तनाव में जी रहे हैं। शिक्षामित्रों को मिल ही क्या रहा है जो 300 रुपया मिलता है। उसकी भी कटौती होगी तो उनके बच्चे क्या खाएंगे। उन्होंने मांग की है कि जिस- जिस शिक्षामित्र का मानदेय काटा गया है, उसका एरियर बिल बनवाकर भुगतान किया जाए। अन्यथा संगठन खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर
धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होगा।