उपचुनाव और आदर्श आचार संहिता के समाप्त होने के बाद शिक्षामित्रों की समस्याओं को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। शिक्षामित्रों और उनके संगठनों द्वारा लगातार यह उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
शिक्षामित्र संघ ने फिर उठाई आवाज
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने कहा कि उपचुनाव के खत्म होने के बाद संगठन पुनः सक्रिय हो गया है और लगातार शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया, "हमारी प्राथमिकता शासनादेश को मूल रूप में जारी करवाना है। सरकार गंभीरता से हमारी समस्याओं का समाधान कर देती है तो हम उनका स्वागत करेंगे। यदि ऐसा नहीं होता, तो अगली रणनीति संगठन की बैठक में तय की जाएगी।"
उपचुनाव में शिक्षामित्र-अनुदेशकों का योगदान
उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के योगदान को भी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। इसपर शिवकुमार शुक्ला ने कहा, "शिक्षामित्रों ने पूरे तन-मन से चुनाव में भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव के बाद समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था। अब हम आशा करते हैं कि सरकार जल्द ही इस पर सकारात्मक कदम उठाएगी।"
समाधान की समय सीमा पर सवाल
शिक्षामित्रों के बीच यह चर्चा है कि दिसंबर के पहले या दूसरे सप्ताह तक उनकी समस्याओं का समाधान हो सकता है। हालांकि, शिवकुमार शुक्ला ने इन अफवाहों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "ये केवल व्यक्तिगत अनुमान हैं। मुख्यमंत्री और मंत्री जी के साथ बैठक हो चुकी है। अब सरकार पर निर्भर है कि वह कितनी जल्दी समाधान करती है।"
शिक्षामित्र संघ की आगे की रणनीति
शिवकुमार शुक्ला ने संकेत दिया कि यदि सरकार शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान करने में देरी करती है, तो संगठन आगामी रणनीति तय करेगा। उन्होंने कहा, "हम अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं। यदि सरकार समय पर समाधान नहीं करती, तो अगला कदम तय करने के लिए सभा आयोजित की जाएगी।" शिक्षामित्रों की समस्याएं और उनकी उम्मीदें शिक्षामित्र लंबे समय से वेतन, नियमितीकरण और अन्य मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। सरकार द्वारा जल्द शासनादेश जारी करने की संभावना ने उनके बीच उम्मीदें जगा दी हैं। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार उनकी उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है।