प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने छात्र आंदोलन के दबाव में पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराए जाने का निर्णय वापस तो ले लिया है लेकिन चुनौतियां अभी कम नहीं हुईं हैं। जिन भर्तियों में प्रारंभिक परीक्षाएं होती हैं, आयोग के लिए अब उनमें बदलाव करना चुनौती होगी।
आंदोलनकारी छात्रों का तर्क था कि प्रारंभिक परीक्षा में बदलाव से मेरिट प्रभावित होगी और योग्य अभ्यर्थियों के असफल होने का खतरा मंडराता रहेगा। अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि दो दिन की परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू होगा, जिसकी आड़ में भ्रष्टाचार की आशंका बनी रहेगी।
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वहीं, आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जब मानक
के अनुरूप केंद्र ही नहीं मिल रहे तो एक दिन में परीक्षा कैसे कराए।
पीसीएस परीक्षा को तो विशिष्ट मानकर शासन ने केवल इस परीक्षा के लिए केंद्र निर्धारण के नियम शिथिल कर दिए लेकिन बाकी परीक्षाओं के लिए जून-2024 की गाइडलाइन के अनुसार ही केंद्रों का निर्धारण किया जाएगा।
आने वाले समय में
आरओ/एआरओ, खंड शिक्षा अधिकारी, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती, राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता भर्ती समेत कई ऐसी भर्तियां होने जा रही हैं, जिनके तहत प्रारंभिक परीक्षा कराई जाएंगी।
इन परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की संख्या भी अमूमन पांच लाख से अधिक होती है और शासन की स्पष्ट गाइडलाइन है कि पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों की परीक्षा एक से अधिक पालियों में आयोजित की जाए।
पेपर लीक की एक घटना से बिगड़ी पूरी व्यवस्थाः पेपर लीक
की एक घटना ने आयोग की भर्ती परीक्षाओं का टाइम टेबल के साथ भर्ती संबंधी पूरी व्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया। 11 फरवरी 2024 को हुई आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में पेपर आउट होने के बाद आयोग को पीसीएस समेत कई परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं।