सेकेंडरी स्कूल अपने अभिनव प्रयोग से एक नई कहानी लिख रहा - है। स्कूल में बनाई गई मनोविज्ञान - प्रयोगशाला हजारों बच्चों को गहरे - अवसाद से बाहर निकालने में कारगर - साबित हुई है। इसका सुपरिणाम है ■कि आत्महत्या की स्थिति में पहुंचे - कई विद्यार्थी अब सफलता का नया - सोपान गढ़ रहे हैं।
भोपाल के टीटी नगर स्थित माडल - हायर सेकेंडरी स्कूल की प्राचार्य रेखा शर्मा ने बताया कि कोरोना - महामारी के दौरान कई विद्यार्थियों में • अवसाद की समस्या को देखते हुए वर्ष 2021 में स्कूल में मनोविज्ञान प्रयोगशाला बनाई गई। कोरोना के दौरान एक विद्यार्थी के पिता की मौत हो गई। वह - परिवार की जिम्मेदारी और पढ़ाई
में तालमेल नहीं बैठा पाया और परीक्षा में असफल हो गया। धीरे धीरे वह अवसाद से घिर गया और उसके मन में आत्महत्या के विचार आने लगे। नियमित परीक्षण के दौरान प्रयोगशाला में उसकी समस्या को पहचाना गया। उसकी और स्वजन की काउंसिलिंग की गई। परिणाम सुखद रहा और एक साल बाद वह विद्यार्थी अपनी कक्षा का टापर बनकर निकला।
दर्जनों बच्चों का जीवन बचायाः ऐसे
दर्जनों मामले हैं जब आत्महत्या का विचार रखने वाले विद्यार्थी को स्कूल की इस कोशिश ने बचा लिया। मनोविज्ञान प्रयोगशाला के जरिये अब तक करीब सात हजार विद्यार्थियों की काउंसिलिंग की जा चुकी है। 100 से अधिक विद्यार्थियों को गंभीर अवसाद से उबारा जा चुका है। इसके लिए स्कूल ने सभी विद्यार्थियों की केवाईएस (नो योर स्टूडेंट) प्रोफाइल
बनाई है। इसमें विद्यार्थी और उसके परिवार का पूरा ब्योरा दर्ज है। कक्षा में खराब प्रदर्शन या कोई परेशानी देखने पर शिक्षक विद्यार्थी की केवाईएस प्रोफाइल देखते हैं। अगर उनको बच्चे में कोई परेशानी दिखी तो उन्हें प्रयोगशाला में भेजा जाता है। प्रयोगशाला में 50 से अधिक उपकरणों के जरिये पर्सनालिटी टेस्ट, इंट्रेस्ट टेस्ट, एप्टीट्यूड टेस्ट, डिप्रेशन टेस्ट, डेवलपमेंट टेस्ट किया
जाता है। स्कूल की प्राचार्य रेखा शर्मा ने बताया कि 10वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम आने के बाद विद्यार्थियों व अभिभावकों के लिए विषय चयन में भी इस प्रयोगशाला की मदद ली गई है।
पर्सनल काउंसिलिंग व कर अब तक कई ऐसे
बच्चों को अवसाद से उबारा गया है, जो आत्मघाती विचारों से घिर गए थे। अब वह पूरी तरह सामान्य हैं और पढ़ाई में भी अच्छा कर रहे हैं। स्कूल की यह पहल काफी कारगर साबित हुई है।
रेखा शर्मा, प्राचार्य, माडल स्कूल
विद्यार्थियों की काउंसिलिंग में यह महसूस हुआ कि
माता-पिता अपने बच्चों से बड़ी उम्मीद लगा बैठते हैं। इसे पूरा करने के दबाव में बच्चा अवसाद में चला जाता है। इस मनोविज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण करने से विद्यार्थियों को काफी फायदा मिला है।
शबनम खान्, काउंसलर