08 November 2024

मदरसों के 37000 विद्यार्थियों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल


लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट से मदरसा शिक्षा परिषद की कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की डिग्री असांविधानिक घोषित होने के बाद मदरसों के करीब 37000 विद्यार्थियों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। इनका प्रवेश निरस्त होगा या फिर पढ़ाई जारी रहेगी, इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नही है।


उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से करीब 16460 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इनमें 560 मदरसे सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त हैं। इनमें मुंशी-मौलवी हाई स्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है। कामिल और फाजिल को यूजीसी से मान्यता नही है लेकिन मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षक की नियुक्ति के लिये दोनों डिग्रियों को मान्यता दी जाती है।

मौजूदा समय में कामिल में प्रथम, द्वितीय और
तृतीय वर्ष में करीब 28000 छात्र-छात्राएं और फाजिल के प्रथम व द्वितीय वर्ष में 9000 विद्यार्थी हैं। बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने कहा कि शासन से निर्देश के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।


भाषा विवि से संबद्धता का शासन में लटका मामला

मदरसा बोर्ड की कामिल और फाजिल की डिग्री को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विवि से संबद्धता कराने का मामला शासन में करीब बाई से लटका हुआ है। यह मामला 19 फरवरी 2022 में उच्च शिक्षा अनुभाग-1 के संयुक्त सचिव को भेजा गया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके अलावा न्याय विभाग से भी सलाह ली जाएगी।

- जे रीभा, निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण