दो बार जांच फिर भी फर्जी अभिलेखों से नौकरी पा रहे शिक्षक

मैनपुरी में, बेसिक शिक्षा विभाग के तहत शिक्षकों की नियुक्ति की जांच प्रक्रिया संदेह के घेरे में है। पिछले आठ वर्षों में जिले में फर्जी शिक्षकों के मामले सामने आने से जांच प्रक्रिया पर प्रश्न उठ रहे हैं। नियुक्ति के समय दोहरी जांच के बावजूद, फर्जी दस्तावेजों के साथ शिक्षक नौकरी प्राप्त कर लेते हैं, और यह तब होता है जब इसकी शिकायत की जाती है। पिछले सात वर्षों में, जिले से 45 शिक्षकों को सेवा से हटाया गया है।


बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों के साथ नौकरी पाने के बढ़ते मामलों ने विभाग पर कई सवाल खड़े किए हैं। नियुक्ति के समय, शिक्षकों के दस्तावेजों की ऑनलाइन और ऑफलाइन जांच की जाती है, और उसके बाद ही वेतन जारी किया जाता है। दो बार जांच होने के बाद भी, जब शिकायत होती है, तो उसी शिक्षक के दस्तावेज फर्जी घोषित किए जाते हैं। विभाग की इस कार्यप्रणाली पर लोगों का विश्वास नहीं बन पा रहा है। यह प्रश्न उठता है कि नियुक्ति के समय जांच में दस्तावेज सही पाए जाते हैं, लेकिन शिकायत के बाद फर्जी क्यों?


शिक्षक भर्ती के दौरान, चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच के लिए एक जिला चयन समिति गठित की जाती है। इस समिति में दस्तावेज विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो शिक्षकों के दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन करते हैं। फिर भी, फर्जी अंकपत्र कैसे असली साबित हो जाते हैं? यह एक बार नहीं, बल्कि बार-बार हो रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या चयन समिति में बैठे अधिकारी असली और फर्जी की पहचान नहीं कर पा रहे हैं, या वे जानबूझकर फर्जी दस्तावेजों को असली मान रहे हैं।


बेसिक शिक्षा विभाग से बर्खास्त शिक्षक हृदेश की नियुक्ति 2009 में हुई थी। उस समय उसके दस्तावेजों की दो बार जांच की गई थी, और दोनों ही बार वे सही पाए गए। लेकिन 15 साल बाद की गई जांच में उसके दस्तावेज फर्जी पाए गए। इससे यह संकेत मिलता है कि जांच करने वाले भी कहीं न कहीं दोषी हैं। फिर भी उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?


पिछले सात वर्षों में सेवा से बाहर किए गए शिक्षक:

- वर्ष - बर्खास्त शिक्षक

- 2017- 31

- 2020- 04

- 2021- 03

- 2022- 02

- 2023- 03

- 2024- 02


नियुक्ति के समय, शासनादेश के अनुसार, सभी शिक्षकों के अभिलेखों की जांच गोपनीय पत्र द्वारा संबंधित बोर्ड से की जाती है। हाल ही में, ऑनलाइन जांच की सुविधा भी शुरू की गई है। जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही वेतन जारी किया जाता है।


दीपिका गुप्ता, बीएसए