पीसीएस के अलावा अन्य परीक्षाओं में भी फंसेगा केंद्र निर्धारण का पेच


प्रयागराज। शासन की ओर के केंद्र निर्धारण के नियमों को सख्त किए जाने और निजी स्कूल कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाए जाने पर रोक लगाने के कारण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को पीसीएस परीक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में केंद्र नहीं मिल पा रहे हैं। यह समस्या यहीं खत्म नहीं होने वाली है। भविष्य में दूसरी परीक्षाओं के आयोजनों में भी केंद्र निर्धारण का पेच फंसेगा।



पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के लिए 5,76,154 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। पूर्व की परीक्षाओं में इससे भी अधिक संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे और आयोग ने एक ही दिन में परीक्षा भी करा ली थी लेकिन इस बार केंद्र निर्धारण के नियम सख्त होने के कारण आयोग को दो दिन परीक्षा कराने का विकल्प भी रखना पड़ा है। हालांकि, अभ्यर्थी दो दिन परीक्षा कराने के विरोध में हैं।

आयोग को आगामी परीक्षाओं में भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना होगा। एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती, राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता भर्ती और अन्य महत्वपूर्ण भर्तियों के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या अमूमन पांच लाख से अधिक होती है आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 के लिए तकरीबन 11 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं।

परीक्षा केंद्रों के निर्धारण की चुनौती के कारण ही आयोग को आरओ/एआरओ की परीक्षा योजना में संशोधन करना पड़ा है। आयोग यह परीक्षा भी दो दिन कराने की तैयारी में है और अभ्यर्थी इसका भी विरोध कर रहे हैं। इससे पूर्व

वर्ष 2018 में हुई एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के

लिए 7.63 लाख अभ्यर्थियों और वर्ष 2020 में जारी प्रवक्ता जीसीआई भर्ती के विज्ञापन के तहत 4,91,370 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। अभ्यर्थियों को छह साल से एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती और चार साल से प्रवक्ता जीआईसी भर्ती का इंतजार है। ऐसे में नई भर्ती का विज्ञापन जारी होने पर पिछली बार के मुकाबले नई भर्ती के लिए अधिक संख्या में आवेदन आने की उम्मीद है। शासन की ओर से पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों की परीक्षा एक दिन में नहीं कराई जाएगी।
अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग कोई भी परीक्षा दो दिन में कराता है तो एक समान मूल्यांकन के लिए मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) होगा और इसकी आड़ में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की आशंका बनी रहेगी।

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि आयोग कोई भी परीक्षा एक से अधिक दिन में कराता है तो नॉर्मलाइजेशन से सिर्फ अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। ऐसे में परीक्षा एक ही दिन में करानी चाहिए.