लखनऊ, । अनियमित जीवनशैली और खानपान के साथ ही हर चीज ऑनलाइन हो गई है। युवाओं में आदत बनती जा रही है कि वह ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं।
दिन भर घर पर हो या ऑफिस में लैपटॉप, मोबाइल का प्रयोग करके काम करते रहते हैं। इससे उनकी शारीरिक गतिविधि लगभग शून्य हो चुकी है। युवा अब न तो मॉर्निंग वॉक करने जाते हैं, न ही खेलने के लिए समय निकाल पाते हैं। ऐसे में मोटापा भी उन्हें घेर रहा है। इन सभी कारणों से युवाओं की हड्डियां कमजोर हो रही हैं। हड्डी से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। यह जानकारी बलरामपुर हड्डी रोग विभाग के डॉ. अजय यादव ने साझा की। विश्व आर्थराइटिस दिवस शनिवार को मनाया जाएगा। आर्थोपेडिक सर्जन व हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ शुक्ला ने बताया कि कम उम्र में भी लोगों को हड्डी की समस्या हो रही है। गठिया अब बुढ़ापे की बीमारी नहीं रही है। करीब 35 से 40 साल के युवा भी हड्डी की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यहां तक उन्हें प्रत्यारोपण तक कराना पड़ रहा है। ओबेसिटी और आर्थोपेडिक विषय पर डॉ. सौरभ ने बताया कि विटामिन डी की कमी से ओस्टियो मैलेशिया की दिक्कत बढ़ रही है। यह समस्या बच्चों में भी हो रही है। बच्चों के पैर टेढ़े होने लगते हैं और रीढ़ की हड्डी में दिक्कत बढ़ने लगती है। क्योंकि बच्चे दिनभर स्कूल, उसके बाद घर पर रहकर मोबाइल, टीवी की स्क्रीन से जुड़े रहते हैं। ऐसे में उन्हें धूप नहीं मिलती है।
जेनेटिक कारण भी अहम
सिविल के हड्डी रोग डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि गठिया की समस्या ज्यादातर जेनेटिक कारणों से होती है। ऐसे में यदि परिवार में किसी सदस्य को यह समस्या है तो उनके बच्चों को भी सतर्क रहने की जरूरत होती है। कई बार चोट, अनियमित जीवन शैली भी बीमारी की वजह से बन जाती है। लखनऊ में पांच लाख से अधिक लोग आर्थराइटिस की समस्या से पीड़ित हैं। धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। पूरे देश में करीब 10 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
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