दीपावली, रोशनी और खुशियों का पर्व है, जो हर घर को दीपों से आलोकित कर देता है। इस पर्व पर हम सभी अपनी खुशियों को साझा करते हैं और नई उमंग के साथ जीवन को जीने की प्रेरणा पाते हैं। लेकिन, हमारे समाज में ऐसे कई लोग हैं जो अपनी मेहनत और समर्पण से समाज को संवारते हैं, फिर भी उन्हें अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र, आंगनबाड़ी, रसोईया और अनुदेशक ऐसे ही समाज के स्तंभ हैं, जिनकी मानदेय में सम्मानजनक बढ़ोत्तरी की जरूरत है।
शिक्षामित्र: शिक्षा के सच्चे योद्धा
शिक्षामित्र, शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा का प्रकाश देते हैं। लेकिन, उन्हें अपने ही वेतन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उनके मानदेय में वृद्धि आवश्यक है, ताकि वे बिना किसी चिंता के अपने शिक्षण कार्य में समर्पित रह सकें।
आंगनबाड़ी: बच्चों का भविष्य संवारने वाली योद्धा
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, समाज के सबसे निचले स्तर पर बच्चों और माताओं की सेवा करती हैं। वे बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा का ख्याल रखती हैं। लेकिन उनके मानदेय में कमी उनके समर्पण को ठेस पहुँचाती है। उनके आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए मानदेय में वृद्धि कर उन्हें सम्मानजनक जीवन दिया जाना चाहिए।
रसोईया: पोषण का आधार
विद्यालयों में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन योजना को सफल बनाने में रसोईया की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। वे बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करती हैं, जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। लेकिन उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन नहीं होता। रसोईया के मानदेय में वृद्धि कर उनके योगदान को सम्मान दिया जाना चाहिए।
अनुदेशक: शिक्षा का महत्वपूर्ण स्तंभ
अनुदेशक, बच्चों की पढ़ाई के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन करते हैं। वे बच्चों को गुणात्मक शिक्षा देने के साथ-साथ उनके व्यक्तिगत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके मानदेय में वृद्धि कर उन्हें आर्थिक स्थिरता प्रदान करनी चाहिए, ताकि वे अपने कार्य को और भी बेहतर तरीके से कर सकें।
सरकार की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता
सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन समाज के स्तंभों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए त्वरित और संवेदनशील निर्णय ले। दीपावली के अवसर पर अगर उनके मानदेय में सम्मानजनक बढ़ोत्तरी होती है, तो उनके जीवन में भी एक दीप जल सकेगा। यह कदम न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि उनके आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाएगा।
मानवीय गरिमा का सवाल
इन सभी कर्मियों का काम केवल एक पेशा नहीं, बल्कि समाज की सेवा है। उनकी मानवीय गरिमा का सम्मान करते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें उनके काम का सही मूल्यांकन और आर्थिक स्थिरता मिले। यह समाज के विकास और उन्नति के लिए भी आवश्यक है।
मेरा मानना है कि दीपावली के इस पावन पर्व पर, जब हम अपने घरों को रोशनी से भरते हैं, हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे समाज के वे स्तंभ, जो हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार रहे हैं, उनके जीवन में भी खुशियों का प्रकाश फैले। उनके मानदेय में सम्मानजनक बढ़ोत्तरी कर, हम न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं, बल्कि समाज के प्रति उनके समर्पण और मेहनत का सही मूल्यांकन भी कर सकते हैं। सत्ता से मेरा अनुरोध है कि इस विषय पर संवेदना के साथ तत्काल निर्णय लिया जाए, ताकि इनकी देहरी पर भी प्रकाश का एक दीप जल सके।