सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के निर्देश पर रोक लगा दी। आयोग ने आरटीई 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लेने, उनमें पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने और उनकी फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी। शीर्ष अदालत ने एनसीपीसीआर के निर्देशों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही परिणामी कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एनसीपीसीआर के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए ये अंतरिम आदेश पारित किया है। पीठ ने केंद्र सरकार, एनसीपीसीआर, अन्य संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इससे पहले, याचिकाकर्ता संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पीठ से कहा कि एनसीपीसीआर के निर्देश की व्यापक प्रकृति में कानूनी अधिकार का अभाव है और यह संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई थी। साथ ही, निर्देश जारी कर आरटीई के प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लेने और बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने का आदेश दिया था।
ये भी पढ़ें - DA 50% से 53% के संबंध में
ये भी पढ़ें - 30 अक्टूबर तक वेतन निर्गत करने का आदेश जारी
ये भी पढ़ें - उच्च न्यायालय ने आठ शिक्षकों की बर्खास्तगी पर लगाई मुहर
धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा कोर्ट
नई दिल्ली, विसं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता’ को हमेशा संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना जाता रहा है। कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी’ शब्दों को हटाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी’ शब्दों को पश्चिमी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। ‘समाजवाद का मतलब यह भी हो सकता है कि अवसरों की समानता हो और देश की संपत्ति का समान वितरण हो। कहा, धर्मनिरपेक्षता शब्द के साथ भी यही बात है। पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन से सवाल किया कि क्या आप नहीं चाहते हैं कि भारत धर्मनिरपेक्ष हो? अधिवक्ता ने कहा, हम इस संशोधन को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि समाजवाद शब्द को शामिल करने से व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा।