रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर दे सकेंगे चिकित्सा प्रमाणपत्र
ज्ञानपुर। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मियों को अब अवकाश लेना आसान हो गया है। चिकित्सा प्रमाण पत्र के लिए न तो सीएमओ कार्यालय का चक्कर लगाना होगा न तो किसी राजकीय अस्पताल का।
इसके साथ ही स्टांप पेपर पर शपथ पत्र की अनिवार्यता भी नहीं होगी। शासन ने उनके अवकाश लेने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा का पत्र आने पर विभाग उसे अमल में लाने की तैयारी कर रहा है।
जिले में कुल 885 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय संचालित हैं। जिसमें चार हजार से अधिक शिक्षक एवं कर्मचारी तैनात हैं। अभी तक उन्हें चिकित्सकीय अवकाश के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता।
स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर या किसी भी वक्त जरूरत पर अवकाश लेने को लेकर दिए जाने वाले चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत चिकित्सकों में रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर को शामिल नहीं किया गया था। इससे शिक्षक-कर्मियों को अधिकृत चिकित्सकों की तलाश के लिए सीएमओ कार्यालय, जिला स्तरीय अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का चक्कर लगाना पड़ता था।
ऐसे में अब चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत चिकित्सकों के निर्धारण में सभी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर को शामिल कर दिया गया है।
ये हुए बदलाव
पूर्व में बाल्यकाल अवकाश में एक
वार में स्वीकृति के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं थी, जबकि अब बाल्यकाल अवकाश एक बार में सामान्यतया अधिकतम 30 दिनों के लिए ही दिया जाएगा। निर्वाचन, आपदा, जनगणना, बोर्ड परीक्षा की अवधि में उससे पांच दिन पूर्व की तिथियों में बाल्य देखभाल अवकाश खंड शिक्षाधिकारी और जिला बेसिक शिक्षाधिकारी की ओर से सम्यक विचार के बाद बढ़ाया जाएगा। वर्तमान में शिक्षणेतर कर्मचारियों के प्रतिकर अवकाश स्वीकृत होते रहे हैं, जबकि बदलाव में बताया गया है कि परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षणेतर कर्मचारियों को निर्बंधित अवकाश, प्रतिकर अवकाश और अध्ययन अवकाश अनुमन्य नहीं हैं।
शिक्षक और शिक्षणेतर
कर्मियों के अवकाश को स्वीकृत करने को लेकर महानिदेशक स्कूल शिक्षा का निर्देश आया है। इसके सापेक्ष कार्रवाई के लिए खंड शिक्षाधिकारियों से लेकर प्रधानाध्यापकों तक को निर्देश जारी कर दिया गया है। निर्देश का पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। - भूपेंद्र नारायण सिंह, बीएसए, भदोही।