उच्च न्यायालय ने आठ शिक्षकों की बर्खास्तगी पर लगाई मुहर

इटावा,
विद्यालयों के आठ शिक्षकों की बर्खास्तगी पर उच्च न्यायालय ने करीब चार वर्ष बाद मुहर लगा दी है। अक्टूबर 2020 में वर्खास्तगी के  खिलाफ शिक्षक उच्च न्यायालय चले गए थे, तब न्यायालय ने फिर से प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। दोबारा जांच में भी इन शिक्षकों के टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) के फर्जी अंकपत्र की पुष्टि होने के बाद इनकी नियुक्ति निरस्त की गई है।





टीईटी के फर्जी अंकपत्र के सहारे परिषदीय विद्यालयों में तैनात रहे 34 शिक्षकों को वर्ष 2020 में बर्खास्त किया गया था। शासन के निर्देश पर वर्ष 2013 व 2016 में चयनित शिक्षकों की जांच के लिए जुलाई 2018 में गठित कमेटी की रिपोर्ट पर यह कार्रवाई तत्कालीन बीएसए कल्पना सिंह ने की थी। जांच कमेटी ने वर्ष 2011 की टीईटी के प्रमाणपत्रों की जांच की थी। 25 शिक्षकों की बर्खास्तगी से पहले भी नौ शिक्षकों को बर्खास्त किया गया था। वर्ष 2020 में दूसरे चरण में जिन 25 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया था, उनमें सर्वाधिक 16 शिक्षक ताखा ब्लाक के थे। वर्ष 2011 में टीईटी में अनुत्तीर्ण होने के बावजूद फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर सपा सरकार में नौकरी पाने में सफल रहे इन बर्खास्त शिक्षकों में ही आठ शिक्षक उच्च न्यायालय चले
गए थे। दोबारा जांच रिपोर्ट के बाद उच्च न्यायालय ने जिन आठ शिक्षकों की बर्खास्तगी पर मुहर लगाई है। उनमें

चकरनगर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय चौरेला पार के सौरभ श्रीवास्तव, उच्च प्राथमिक विद्यालय कचहरी के उपेंद्र यादव, बसरेहर ब्लाक के संतोषपुर घार की रश्मि वर्मा, भरथना ब्लाक के ऊमरसेड़ा विद्यालय के योगेंद्र कुमार, ताखा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय सरावा के राजवीर सिंह, प्राथमिक विद्यालय भागा के विकास कुमार, प्राथमिक विद्यालय रिटौली के दिलीप सिंह, उच्च प्राथमिक विद्यालय कुदरैल के शैलेंद्र प्रताप हैं। 


इनमें रश्मि वर्मा सेवा समाप्ति की कार्रवाई से पहले ही त्यागपत्र दे चुकी थीं। बीएसए डा. राजेश कुमार ने बताया कि संबंधित शिक्षकों के नियुक्ति पत्र निरस्त करने की कार्रवाई के बाद कार्रवाई की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी है। बर्खास्त शिक्षकों से वसूली समेत अन्य कार्रवाई की जाएगी।